असम से बाहर निकलना भूपेन के जीवन का निर्णायक बिंदु बना
Advertisement

असम से बाहर निकलना भूपेन के जीवन का निर्णायक बिंदु बना

संगीत जगत की दिग्गज हस्ती रहे दिवंगत भूपेन हजारिका का 1950 के दशक के अंतिम वर्षों में अपने गृह राज्य असम से निकलने का निर्णय उनके करियर का निर्णायक बिंदु साबित हुआ।

नई दिल्ली : संगीत जगत की दिग्गज हस्ती रहे दिवंगत भूपेन हजारिका का 1950 के दशक के अंतिम वर्षों में अपने गृह राज्य असम से निकलने का निर्णय उनके करियर का निर्णायक बिंदु साबित हुआ।
भूपेन हजारिका के करीबी दोस्त कमल कताकी ने कहा, उनकी जेब में केवल 35 रुपये थे, लेकिन वह अपने दृढनिश्चय और किसी के अधीन काम नहीं करने की जिद के साथ अपनी स्वतंत्र जिंदगी की शुरुआत करने के लिए कोलकाता आ पहुंचे।
हजारिका के साथ गिटार बजाने वाले कताकी ने देवजीत भुइयां के साथ लिखी पुस्तक ‘‘भूपेन दा : द ब्रैड आफ ब्रह्मपुत्र’’ में लिखा है, ‘‘गुवाहाटी विश्वविद्यालय से इस्तीफा देना और वहां से निकलना उनके जीवन का निर्णायक बिंदु साबित हुआ।’’ कताकी ने यह पुस्तक हजारिका की आज पहली पुण्यतिथि पर अपनी निजी श्रद्धांजलि के तौर पर पेश की है।
उन्होंने पुस्तक में हजारिका के जीवन के संघषर्, जन नाट्य मंच संघ (इप्टा) और बलराज साहनी, हेमंग विश्वास, एम एफ हुसैन, हेमंत कुमार, उत्तम कुमार और लता मंगेशकर आदि जानी मानी हस्तियों से उनके संबन्धों पर प्रकाश डाला है। किताब में उन्होंने हजारिका के प्रेम और खानाबदोश जीवन के बारे में अलग अलग अध्याय में चर्चा की है।
दादा साहब फाल्के पुरस्कार प्राप्त हजारिका ने एक खूबसूरत गुजराती महिला प्रियंवदा पटेल से शादी की, जो सरदार वल्लभ भाई पटेल के परिवार से संबंध रखती थीं। इसके अलावा उनके शिलांग की एक महिला समेत कई महिलाओं से प्रेम संबंध रहे।
किताब में कहा गया है, ‘‘वह मानते थे कि प्रेम एक कला है। कोई भी अपने प्रेम को चित्रों, मूर्तियों, गीत या कविता के जरिये प्रदर्शित कर सकता है, कई बार उनका अनुराग इतना गहरा होता था कि वह बाहरी दुनिया की परवाह ही नहीं करते थे।’’ लेखक के मुताबिक हजारिका का प्रेमी स्वभाव और खानाबदोश चरित्र ही उनके दाम्पत्य जीवन में अलगाव का कारण बना। (एजेंसी)

Trending news