नई दिल्ली : पूर्व कॉपरेरेट लॉबीस्ट नीरा राडिया की फोन बातचीत को इंटरसेप्ट करने के आधार बने अत्यंत गोपनीय दस्तावेजों को ध्यान से पढ़ने और केंद्र का रुख जानने के लिए उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को बंद कमरे में सुनवाई करने का फैसला किया। न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी और न्यायमूर्ति वी गोपाल गौड़ा की पीठ ने राडिया की कॉपरेरेट जगत के लोगों, नेताओं, पत्रकारों और अन्य लोगों से बातचीत की रिकॉर्डिंग के संबंध में केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा रखे गये पूरे रिकार्ड पर विचार करते हुए कहा, ‘यह और अधिक पहेलीनुमा होता जा रहा है।’ केंद्र सरकार के वकील एल नागेश्वर राव ने मामले की प्रकृति अत्यंत गंभीर होने के कारण पक्ष रखने में कुछ असहजता जताई और इसलिए बंद कमरे में सुनवाई होने के संबंध में वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे से सहमति जताते हुए पीठ ने कहा, ‘गुरुवार की सुबह हम आपका पक्ष अकेले में सुनेंगे और आप भी सुनिश्चत करें कि यह सब सार्वजनिक नहीं होगा।’ साल्वे ने कहा था, ‘वह (राव) खुली अदालत में दलीलें रखने में कुछ असहज महसूस कर रहे हैं क्योंकि राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे हैं। यह मीडिया के पास तक पहुंचेगा। मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि सुनवाई बंद कमरे में की जाए क्योंकि यह अत्यंत गंभीर मामला है।’ साल्वे टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष रतन टाटा की ओर से पक्ष रख रहे थे। अदालत बातचीत लीक होने के खिलाफ टाटा की याचिका पर सुनवाई कर रही है। पीठ ने कहा कि वह अतिरिक्त सालिसिटर जनरल का पक्ष भी सुनेगी जो मामले में सीबीआई की ओर से उपस्थित हो रहे हैं। साल्वे ने कहा कि चीजें बहुत रहस्यमयी हो गयी हैं क्योंकि जब बातचीत की रिकार्डिंग का कोई अंश नहीं था तो अप्रैल और मई, 2010 में चुनिंदा तरीके से लीकेज कैसे हुआ। उन्होंने दलील दी, ‘सीबीआई से अप्रैल-मई, 2010 के पहले दो लीक की जांच करने के लिए कहा जाए।’(एजेंसी)