‘जोकर’ में कॉमेडी और रोमांच सब नदारद

फिल्म का तानाबाना प्रोमो में ऐसा बुना गया था कि फिल्म रोमांचक और हास्य से परिपूर्ण है लेकिन फिल्म देखने के बाद ऐसा कहीं से भी नहीं लगता । फिल्म का नाम जोकर क्यों रखा गया यह समझ से परे हैं।

ज़ी न्यूज ब्यूरो
एलियंस पर आधारित बॉलीवुड में कई फिल्में बनाई गई है जिसमें सबसे ज्यादा कामयाबी राकेश रोशन की कोई मिल गया फिल्म को मिली थी । कोई मिल गया का एलियंस कैरेक्टर जादू बेहद पोपुलर हुआ था। एलियंस या यूएफओ ये हमेशा से कौतूहल का विषय रहा है क्योंकि इसके बारे में विज्ञान को अभीतक कोई पुख्ता प्रमाण नहीं मिले है इसलिए इसे बॉलीवुड की फिल्मों में भी कई बार भुनाने की कोशिश की गई है।
इसी मसाले को फराह खान के पति शिरीष कुंदर ने भी फिल्मी पर्दे पर उतारने की कोशिश की जो बिल्कुल नाकाम साबित हुए हैं। फिल्म मनोरंजन के लिहाज से ऐसा कुछ भी पेश नहीं करती जो जिसके लिए दर्शक सिनेमा हाल में जाए। फिल्म का तानाबाना प्रोमो में ऐसा बुना गया था कि फिल्म रोमांचक और हास्य से परिपूर्ण है लेकिन फिल्म देखने के बाद ऐसा कहीं से भी नहीं लगता । फिल्म का नाम जोकर क्यों रखा गया यह समझ से परे हैं।
फिल्म किसी पहलू से रोमांचक है यह तय करना मुश्किल है। फिल्म में श्रेयस तलपाडे को छोड़ दे तो यह किसी लिहाज से कॉमेडी भी नजर नहीं आती। इससे पहले शिरिष कुंदर की तीसमार खां फिल्म आई थी जो बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह पिट गई थी।
`जोकर` ऐसे साइंटिस्ट अक्षय कुमार पर बनी है, जो दूसरे ग्रह के प्राणियों से संपर्क करने में लगा है। यह साइंटिस्ट अपने बीमार पिता से मिलने भारत के पगलापुर गांव लौटता है। पागलों से भरा यह गांव देश के नक्शे पर ही नहीं है और न ही यहां बिजली और पानी है, लेकिन मैं हैरान हूं कि यहां के सारे पागल आत्मनिर्भर हैं।
इस गांव को पहचान दिलाने के लिए यह साइंटिस्ट तरबूज, खरबूजे, कद्दू, करेले, केले के पत्तों और रंग-बिरंगे बल्ब लेता है और दो-तीन पागलों के हाथ-पैर पर फिट करके उन्हें एलियन का रूप दे देता है। फिल्म आगे चलती है ,घिसटती रहती है । फिल्म में कई बार तो यह समझ में आता ही नहीं कि हो क्या रहा है। फिल्म का टारगेट आडियेंस बच्चे हैं लेकिन शायद ही किसी बच्चे को यह फिल्म पसंद आई। अब सवाल उठता है कि फिर फिल्म में अच्छा क्या है। तो वह है चित्रांगदा का आइटम नंबर।
फिल्म में देखने लायक चित्रांगदा का आइटम नंबर है जिसमें चित्रांगदा ने जान डाल दी है। हालांकि चित्रांगदा का आइटम सान्ग क्यों डाला गया यह समझ के परे हैं। फिल्म की स्क्रिप्ट बेहद लचर है और फिल्म का दोनों हाफ बोरिंग है।
इमोशन्स, एक्शन, थ्रिल, सब `जोकर` से गायब हैं। सोनाक्षी सिन्हा और मिनिषा लांबा सिर्फ शो-पीस बनकर ही रह गईं। अक्षय कुमार किसी भी एंगल से प्रभावित कर पाने में नाकाम रहे हैं।
फिल्म में संगीत की बात करे तो आई वॉन्ट जस्ट यू` आइटम नंबर तो पहले ही हिट लिस्ट में है वहीं फिल्म की शुरूआत तीस मार खां की धुन से होती है तो कहीं बीच में श्रेयस के गुनगुनाने में लगान फिल्म का धनन धनन घिर आए बदरा गीत की धुन भी सुनाई पड़ती है। फिल्म में `जुगनू`, `ये जोकर`, `सिंह राजा` गाने फिल्म के बीच में खटकते नहीं।
फिल्म में अक्षय कुमार और सोनाक्षी एक बार फिर साथ नजर आए हैं। यह जोड़ी इससे पहले फिल्म `राउडी राठौड़` में दिखी थी। ‘जोकर’ अक्षय कुमार की बतौर अभिनेता 100 वीं फिल्म है। अक्षय अपने फिल्मी करियर में इस फिल्म को कतई याद नहीं करना चाहेंगे क्योंकि इससे पहले की उनकी फिल्म राउडी राठौड़ काफी हिट रही थी जो 100 करोड़ क्लब में शामिल हुई थी।

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