‘भाग मिल्खा भाग’ की विदेश में भी मची धूम
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‘भाग मिल्खा भाग’ की विदेश में भी मची धूम

प्रसिद्ध भारतीय एथलीट मिल्खा सिंह के जीवन को बयां करने वाली फरहान अख्तर अभिनीत फिल्म ‘भाग मिल्खा भाग’ ने अमेरिका में अपने प्रदर्शन के पहले ही सप्ताह में 6 लाख 47 हजार डॉलर की कमाई कर ली।

वाशिंगटन: प्रसिद्ध भारतीय एथलीट मिल्खा सिंह के जीवन को बयां करने वाली फरहान अख्तर अभिनीत फिल्म ‘भाग मिल्खा भाग’ ने अमेरिका में अपने प्रदर्शन के पहले ही सप्ताह में 6 लाख 47 हजार डॉलर की कमाई कर ली।
फिल्मकार राकेश ओमप्रकाश मेहरा की इस फिल्म ने अमेरिका में चर्चित फिल्मों के पॉपुलेरिटी चार्ट में इस सप्ताह 15वां स्थान भी हासिल कर किया। अमेरिकी शीर्ष फिल्मों पर नजर रखने वाली वेबसाइट बॉक्स ऑफिस मोजो के अनुसार, यह फिल्म अमेरिका के 140 थिएटरों में चल रही है और इसने अपने प्रदर्शन के पहले तीन ही दिनों में 647,112 डॉलर की कमाई की है।
12 जुलाई को अपने प्रदर्शन के पहले दिन फिल्म ने 183,083 डॉलर की कमाई की। अगले दिन शनिवार को यह राशि बढ़कर 270,275 डॉलर हो गई। रविवार को इसने 140 सिनेमाघरों में कुल 193,774 डालर कमाए। द वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार, ‘एक जीवनी को ‘भाग मिल्खा भाग’ में बॉलीवुड का तड़का मिला है। इसमें पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ने वाले भारतीय धावक मिल्खा सिंह की जिंदगी को दिखाया गया है। यह भूमिका बेहतरीन कलाकार फरहान अख्तर ने निभाई है।’
अखबार ने कहा, ‘बॉलीवुड की अधिकांश फिल्मों की तरह मिल्खा की कहानी को भी एक वीरगाथा की तरह बनाया गया है । बचपन के बुरे अनुभव और ट्रैक पर कुछ बड़ी उपलब्धियों से इतर उसकी बाकी की कहानी ऐसी लगती है मानो सिर्फ कुछ घटनाएं उसमें भर दी गई हैं।’
न्यूयॉर्क टाईम्स ने लिखा, ‘भारतीय धावक मिल्खा सिंह ‘भाग मिल्खा भाग’ का मुख्य नायक हो सकते हैं लेकिन इस बॉलीवुड फिल्म की आत्मा देश के विभाजन के दौर में बसती है । ‘द फ्लाइंग सिख’ के नाम से चर्चित मिल्खा इसका एक पात्र मात्र है जो विभाजन के समय पाकिस्तान से भाग निकला और तब से भाग ही रहा है।’
फिल्म में अख्तर की भूमिका की तारीफ करते हुए हॉलीवुड रिपोर्टर ने कहा, ‘चतुर और मजबूत अख्तर बॉलीवुड के अन्य नायकों जैसा नहीं दिखता। मेहरा भी कहते हैं कि यही एक अहम कारण था कि उन्होंने अख्तर को चुना। इस भूमिका के लिए कलाकारों की खोज उन्हें कनाडा, ब्रिटेन और अमेरिका तक ले गई थी।’
हॉलीवुड रिपोर्टर ने कहा, ‘इस भूमिका के लिए आकषर्क शारीरिक सौष्ठव बनाने के अलावा अख्तर ने पूरा ध्यान लगाकर वह समर्पण का भाव विकसित किया है, जिसके चलते सिंह विभाजन के बाद के शरणार्थी के रूप में अपनी दुखद शुरूआत से उबरे और थोड़े ही समय में राष्ट्रीय विजेता बने।’ (एजेंसी)

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