MH 370 जैसा होगा MH-17 जांच का हश्र!

मलेशिया को करीब पांच महीने में दूसरी बार विमान त्रासदी का सामना करना पड़ा है। गत मार्च में रहस्यमय तरीके से लापता हुए एमएच 370 विमान की अब तक कोई जानकारी नहीं मिल पाई है। इस त्रासदी के जख्म अभी भरे भी नहीं थे कि मलेशिया के दूसरे विमान एमएच-17 को यूक्रेन के पूर्वी भाग में मिसाइल से मार गिराया गया। इस हमले में 298 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हो चुकी है। यूक्रेन ने आधिकारिक रूप से दावा किया है कि विद्रोहियों ने रूस की मदद से विमान को मार गिराया जबकि रूस ने इससे इनकार किया है। यूक्रेन के राष्ट्रपति पेट्रो पोरोशेंकों ने इसे आतंकवादी हमला करार दिया है। हमले के बाद से रूस और यूक्रेन के बीच आरोपों और प्रत्यारोपों का दौर जारी है।

लेकिन सवाल है कि एमएच-17 को निशाना क्यों बनाया गया। क्या निर्दोष लोगों की हत्या जानबूझकर की गई अथवा यह एक महज दुर्घटना थी। इसका पता निष्पक्ष जांच के बाद ही चल सकेगा लेकिन हादसे के बाद जिस तरह की खबरें आई हैं उससे निष्पक्ष जांच पर संदेह उत्पन्न होने लगा है। खबरें हैं कि यूरोपीय सुरक्षा एवं सहयोग टीम को घटनास्थल पर पहुंचने से रोकने की कोशिश की गई है। यूक्रेन का दावा है कि विद्रोही रूस की मदद से मलबे एवं साक्ष्यों को नष्ट किया है। यह बात अगर सही है तो घटना की सच्चाई का पता लगाना मुश्किल है। घटना पूर्वी यूक्रेन में हुई है। यह इलाका रूस समर्थक विद्रोहियों के कब्जे में है और यहां उनका प्रभुत्व है। विमान को मार गिराए जाने में यदि विद्रोहियों की भूमिका एवं सलिप्तता है तो इस बात की उम्मीद करना कि वे निष्पक्ष जांच में सहयोग करेंगे, बेमानी होगी। विद्रोहियों ने पहले दावा किया था कि उन्हें फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर (एफडीआर) और ब्लैक बॉक्स मिल गया है और वे इन्हें रूस को सौंपेंगे लेकिन अब विद्रोही इस बात से इंकार कर रहे हैं। हमले के समय विमान की स्थिति क्या थी, पायलट, सह-पायलट और एटीसी के बीच क्या बात हुई  इसकी सही जानकारी एफडीआर और ब्लैक बॉक्स की जांच से ही मिल सकती है।    

यूक्रेन ने अपने पूर्वी भाग के हवाई क्षेत्र को 'नो फ्लाई जोन' घोषित नहीं किया था। फिर भी एशिया की तमाम नागरिक विमान कंपनियों ने एहतियातन इस क्षेत्र से उड़ान भरना बंद कर दिया था। पश्चिमी यूरोप से दक्षिण पूर्व एशिया के लिए जो रास्ता चुना जाता है वह यूक्रेन के ऊपर से होकर गुजरता है। यह रास्ता अपेक्षाकृत छोटा है जिससे विमान कंपनियों को ईंधन की बचत होती है। केवल ईंधन की बचत के लिए मलेशियाई विमान कंपनी ने यदि इस हवाई मार्ग पर उड़ान भरना जारी रखा था तो यह परेशान करने वाली बात है। अन्य विमान कंपनियों की तरह मलेशिया ने भी यदि रास्ते पर उड़ान भरना छोड़ दिया होता तो शायद उसे इस दुर्भाग्यशाली घटना का सामना नहीं करना पड़ता।

मलेशिया का विमान एमएच-17 बोइंग विमान एम्सटरडम से कुआलालंपुर के रास्ते पर था और जिस समय उसे मार गिराया गया उस समय वह 33 हजार फीट की ऊंचाई पर था। विमान को 'बुक' मिसाइल से मार गिराए जाने की पुष्टि हुई है। 'बुक' मिसाइल साधारण मिसाइल नहीं है। इसे संचालित करने के लिए उच्चस्तरीय पेशेवर दक्षता की जरूरत होती है। जिसने भी 'बुक' मिसाइल का इस्तेमाल किया वे निश्चित रूप से उच्च पेशेवर लोग रहे होंगे। साथ ही इस प्रकार की मिसाइलें उन तमाम देशों के पास मौजूद हैं जो कभी पूर्व सोवियत संघ में शामिल थे। यूक्रेन भी सोवियत रूस का हिस्सा रह चुका है।  

यह तकनीक केवल रूस के ही पास नहीं बल्कि सोवियत रूस के अंग रहे करीब-करीब सभी देशों के पास है। अब तक जो रिपोर्टें आई हैं उससे यही संकेत मिलता है कि हमले में रूस समर्थक विद्रोहियों की संलिप्तता है लेकिन अभी यह पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता। क्योंकि यूक्रेन की भूराजनीतिक स्थिति और वहां महीनों भर से चल रहा ऊथल-पुथल इस घटना की पृष्टभूमि में हो सकता है। यूक्रेन को लेकर रूस, अमेरिका और पश्चिमी देशों के हित भी इस घटना से सीधे अथवा अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हो सकते हैं।

इस हमले के पीछे स्थितियां या वजहें चाहे जो भी रही हों लेकिन इतना तो साफ है इस दुर्भाग्यपूर्ण हमले में निर्दोष लोगों की जानें गई हैं। विमान में सवार लोगों का कसूर बस इतना था कि वे यूक्रेन के हिस्से वाले हवाई मार्ग से यात्राकर रहे थे। जान गंवाने वालों में मासूम बच्चे और महिलाएं थे। यूक्रेन और विद्रोहियों की आपसी रंजिश की कीमत निर्दोष लोगों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी है। सवाल यह है कि निर्दोष लोगों को क्या अपनी जान ऐसे ही गंवानी पड़ेगी?

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