बिजली मंत्रालय ईंधन आयात योजना की समीक्षा करे : कोयला मंत्रालय

बिजली उत्पादन के लिए कोयले की संभावित कमी से बचने के लिए कोयला मंत्रालय ने बिजली मंत्रालय से चालू वित्त वर्ष के लिए ईंधन आयात योजना की समीक्षा करने को कहा है। कोयला मंत्रालय का कहना है कि यह योजना वित्त वर्ष 2014-15 में संयंत्रों के क्षमता विस्तार लक्ष्य के अनुरूप नहीं है।

नई दिल्ली : बिजली उत्पादन के लिए कोयले की संभावित कमी से बचने के लिए कोयला मंत्रालय ने बिजली मंत्रालय से चालू वित्त वर्ष के लिए ईंधन आयात योजना की समीक्षा करने को कहा है। कोयला मंत्रालय का कहना है कि यह योजना वित्त वर्ष 2014-15 में संयंत्रों के क्षमता विस्तार लक्ष्य के अनुरूप नहीं है।

चालू वित्त वर्ष के लिए ईंधन आयात लक्ष्य 9.4 करोड़ टन का है। गौरतलब है कि देश से आधे से अधिक बिजली घरों के पास एक सप्ताह से भी कम का कोयला भंडार बचा है। कोयला सचिव एस.के. श्रीवास्तव ने हाल में बिजली सचिव प्रदीप कुमार सिन्हा को लिखे पत्र में कहा है, ‘हमारा आंकलन है कि 2014-15 के लिए तय लक्ष्य वित्त वर्ष के दौरान क्षमता विस्तार के अनुरूप नहीं है। बिजली घरों में मौजूदा कोयला संकट की एक वजह कंेद्रीय विद्युत प्राधिकरण की आयात योजना में कमी भी है।’

उन्होंने पत्र में कहा कि ऐसे में बिजली मंत्रालय को सीईए की समूची आयात योजना की समीक्षा करने की जरूरत है। यदि बिजलीघरों को कोयले की कमी होती है तो इस बारे में राहत योजना बनाई जा सकती है। श्रीवास्तव ने सुझाव दिया कि इस प्रक्रिया में या तो कोयला मंत्रालय या कोल इंडिया को शामिल किया जाना चाहिए।

पत्र में कहा गया है कि सीईए ने चालू वित्त वर्ष में 9.4 करोड़ टन कोयला आयात की योजना बनाई है। इसमें से 4 करोड़ टन विशिष्ट रूप से आयातित कोयला आधारित संयंत्रों के लिए होगा। इससे अन्य संयंत्रों के लिए सिर्फ 5.4 करोड़ टन बचेगा, जबकि अकेले कोल इंडिया के स्रोतों से कमी की भरपाई के लिए न्यूनतम 7.7 करोड़ टन की जरूरत होगी।

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