भारत का कड़ा संदेश, 'खाद्य सुरक्षा पर कोई समझौता नहीं'

भारत ने विश्व व्यापार संगठन (डल्यूटीओ) के बाली सम्मेलन में प्रस्तावित समझौते के मसौदे पर कड़ा रुख दिखाते हुए कहा कि बाली-पैकेज की अच्छी तरह से समीक्षा करने की जरूरत है और देश खाद्य सुरक्षा के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं कर सकता।

बाली (इंडोनेशिया) : भारत ने विश्व व्यापार संगठन (डल्यूटीओ) के बाली सम्मेलन में प्रस्तावित समझौते के मसौदे पर कड़ा रुख दिखाते हुए कहा कि बाली-पैकेज की अच्छी तरह से समीक्षा करने की जरूरत है और देश खाद्य सुरक्षा के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं कर सकता।
डब्ल्यूटीओ की 9वीं मंत्रिस्तरीय बैठक के दूसरे दिन पूर्ण अधिवेशन में भारतीय वार्ताकार दल के नेता वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने कहा कि भारत बाली सम्मेलन को कामयाब देखना चाहता है और भारत इसके लिए जिनेवा में गंभीर और रचनात्मक तरीके से बात करता रहा है। उन्होंने साथ ही सख्त लहजे में कहा कि बहुपक्षीय व्यापार व्यस्था के मौजूदा नियमों में, ऐतिहासिक असंतुलन को दूर करना बहुत जरूरी है ताकि एक नियम आधारित, निष्पक्ष और समानता आधारित व्यावस्था सुनिश्चित की जा सके।
शर्मा ने खाद्य सुरक्षा के मुद्दे पर साफ कहा कि, भारत खाद्य सुरक्षा के मामले में कोई समझौता नहीं करेगा। उन्होंने भारत और अन्य विकासशील देशों में अनाज के सरकारी खरीद कार्यक्रम पर अमीर देशों की आपत्तियों को खारिज करते हुए कहा कि खाद्य सुरक्षा और गरीब और सीमांत किसानों की मदद के लिए इस तरह के कार्यक्रमों की आवश्यकता का सम्मान करना जरूरी है। शर्मा ने इस मामले में डल्यूटीओ के मौजूदा नियमों को ठीक करने की मांग की। कक्ष में करीब 130 देशों के व्यापार मंत्री और प्रतिनिधि शामिल थे जिसमें भारत के वक्तव्य की उत्सुकता से प्रतीक्षा थी। शर्मा के वक्तव्य का प्रतिनिधियों ने ताली बजा कर स्वागत किया।
जी-33 के नाम से चर्चित विकासशील देशों के समूह ने कृषि व्यापार पर डब्यूटीओ के मौजूदा समझौते में बदलाव का प्रस्ताव किया है ताकि विकासशील देशों को अपने गरीब किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देने, अनाज का सरकारी भंडार बनाने तथा गरीबों और जरूरतमंद आबादी को सस्ती दर पर अनाज मुहैया कराने के संबंध में किसी पाबंदी का सामना न करना पड़े । इस समूह में भारत और चीन समेत 46 देश शामिल हैं।
आज ब्राजील और कई अन्य विकसित एवं विकासशील देशों के वक्तव्य से भी भारत के रुख को मजबूती मिलने की संभावना है। शर्मा ने आपने वक्तव्य में कहा, करोड़ों गरीब किसानों की आजीविका कृषि पर टिकी है। उनके हितों की हिफाजत करना जरूरी है। दुनिया के 4 अरब लोगों को खाद्य सहायता देने की जरूरत है। भारत खाद्य सुरक्षा के सवाल पर कोई समझौता नहीं कर सकता।
भारत में इसी साल पारित महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत करीब तीन चौथाई आबादी को महीने में प्रति व्यक्ति पांच किलो अनाज सस्ती दर पर मुहैया कराने की गारंटी दी गयी है। इसके लिए हर साल छह करोड. 20 लाख टन से अधिक के अनाज भंडार की जरूरत होगी। विकसित देश सरकार द्वारा घोषित दर पर अनाज की सरकारी खरीद को डल्यूटीओ के नियमों के खिलाफ मानते हैं। उनकी ओर ऐसे समझौते के लिए दबाव है कि विकासशील देश 4 साल के अंदर (2017) तक अपनी खाद्य सब्सिडी कुल कृषि उत्पादन के 10 प्रतिशत तक सीमित करने के नियम को तोड़े तो उन पर पाबंदी लागू की जाए।
शर्मा ने कहा कि भुखमरी को दूर करने का लक्ष्य संयुक्तराष्ट्र के सहस्राब्दि सम्मेलन में तय विकास के लक्ष्यों में शामिल है और कोई भी व्यापार समझौता भुखमरी खत्म करने और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के हमारे साझा लक्ष्य के अनुरूप ही होना चाहिए। (एजेंसी)

Zee News App: पाएँ हिंदी में ताज़ा समाचार, देश-दुनिया की खबरें, फिल्म, बिज़नेस अपडेट्स, खेल की दुनिया की हलचल, देखें लाइव न्यूज़ और धर्म-कर्म से जुड़ी खबरें, आदि.अभी डाउनलोड करें ज़ी न्यूज़ ऐप.