`अंतरिम बजट में आर्थिक विवरण पर होगी लोगों की नजर`
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`अंतरिम बजट में आर्थिक विवरण पर होगी लोगों की नजर`

वित्त मंत्री पी. चिदंबरम सोमवार, 17 फरवरी, को अंतरिम बजट पेश करेंगे जिसमें जिसमें प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष करों में कोई महत्वपूर्ण बदलाव किए जाने की उम्मीद नहीं है पर इसमें पेश की जाने वाली राजकोषीय और आर्थिक तस्वीर को लेकर उत्सुकता जरूर है।

नई दिल्ली : वित्त मंत्री पी. चिदंबरम सोमवार, 17 फरवरी, को अंतरिम बजट पेश करेंगे जिसमें जिसमें प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष करों में कोई महत्वपूर्ण बदलाव किए जाने की उम्मीद नहीं है पर इसमें पेश की जाने वाली राजकोषीय और आर्थिक तस्वीर को लेकर उत्सुकता जरूर है। आम चुनाव से पहले के अंतरिम बजट में सरकार वर्ष 2014-15 के लिए आय-व्यय का एक मोटा अनुमान रखने के साथ साथ संसद से नए वित्त के पहले चार माह के खचरें की अनुमति मांगेगी।
अप्रैल-मार्च 2013-14 के बजट में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.8 प्रतिशत तक सीमित रखने का लक्ष्य रखा है। हालांकि आर्थिक नरमी व बढ़ते सब्सिडी बिल को देखते हुये यह लक्ष्य चुनौती पूर्ण है। चिदंबरम विश्वास जताते आ रहे हैं कि यह घाटा उपर नहीं जाएगा। विशेषज्ञों के अनुसार व्यक्तिगत और कंपनी कर की प्रमुख दरों में किसी तरह के बदलाव की संभावना नहीं है। लेकिन अप्रत्यक्ष करों के क्षेत्र में आवश्यकता दिखने पर थोड़े बहुत ऐसे संशोधन किए जा सकते हैं जिनमें कानून संशोधन की जररत नहीं हो।
ऐसा संकेत चिदंबरम दे चुके हैं। उन्होंने संसद के चालू सत्र की पूर्व संध्या पर कहा था कि अंतरिम बजट में, हम आयकर अधिनियम या उत्पाद-शुल्क अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव नहीं कर सकते। पर किसी कानून में संशोधन को छोड़ अन्य कोई भी प्रस्ताव किया जा सकता है। वित्त मंत्री ने एक सवाल पर कहा था कि उत्पाद शुल्क या सेवा कर में कानून में बदलाव के बिना जो कुछ बदलाव करने की जररत है वह किया रहा है और और किया जाएगा। वित्तीय मामलों के विशेषज्ञ और चार्टर्ड एकाउंटेंट के.के. मित्तल के अनुसार 2जी स्पेक्ट्रम नीलामी में उम्मीद से बेहतर राजस्व प्राप्ति से वित्त मंत्री की राह कुछ आसान हुई है लेकिन सब्सिडी का उंचा बिल अभी भी चिंता का विषय बना हुआ है।
स्पेक्ट्रम नीलामी में 61,161 करोड़ रुपए की बोली मिली हो उम्मीद से काफी उंची है। इस तरह इससे चालू वित्त वर्ष में सरकार को कम से कम 18,296 करोड़ रपए मिलाना तय है। पर खाद्यान्न, उर्वरक और पेट्रोलियम पदार्थों की मद में कुल 2,21,000 करोड़ रपये का प्रावधान किया गया था, लेकिन इसके 3,00,000 करोड़ रुपये से उपर निकल जाने का अनुमान है। मित्तल ने कहा कि उर्वरक कंपनियों और भारतीय खाद्य निगम को बैंकों अथवा बाजार से धन जुटाने के लिये कहा गया है। संगृहीत धन पर उन्हें ब्याज का भुगतान भी करना होगा और उसकी वापसी की व्यवस्था भी करनी होगी।
पीएचडी चेम्बर के मुख्य अर्थशास्त्री एस.पी. शर्मा ने कहा, बेशक यह अंतरिम बजट है पर इसमें महत्वपूर्ण आर्थिक सुधारों की रूपरेखा प्रस्तुत की जानी चाहिये। वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी), प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी), श्रम सुधार जैसे कई मुद्दे हैं जिन पर लोगों की निगाह है। वित्त मंत्री ने पिछले बजट में एक करोड़ रपये अथवा इससे अधिक की सालाना कमाई करने वालों पर 10 प्रतिशत अधिभार भी लगाया था। दस करोड़ रपये से अधिक कारोबार करने वाली कंपनियों पर भी अधिभार 5 से बढ़ाकर 10 प्रतिशत कर दिया था। हालांकि, उन्होंने कहा था कि अतिरिक्त अधिभार केवल एक साल के लिये ही प्रभावी होगा। अंतरिम बजट में इसपर अपना विचार वित्त मंत्री रख सकते हैं।
आर्थिक विश्लेषक शोभा अहूजा ने कहा कि अंतरिम बजट में 2014-15 का आय और व्यय का ब्यौरा होगा तथा राजकोषीय घाटे और राजस्व घाटे के अनुमान इसमें होंगे। उन्होंने कहा कि सरकार का 40,000 करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य तो पूरा नहीं हो पाया लेकिन 2जी स्पेक्ट्रम नीलामी और उंचे लाभांश जैसे दूसरे रास्तों से राजकोषीय घाटे को तय दायरे के भीतर रखने का प्रयास किया जायेगा। वर्ष 2013 की आर्थिक समीक्षा में 2013-14 की आर्थिक वृद्धि 6.1-6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था। हाल में जारी केंद्रीय आर्थिक संगठन (सीएसओ) के अनुमानों के अनुसार चालू वित्त वर्ष की वृद्धि 4.9 प्रतिशत रहेगी। चिदंबरम ने कहा है कि अंतरिम बजट का उनका भाषण छोटा होगा और वह चाहेंगे कि इस पर बहस हो। वर्ष 2004 के अंतरिम बजट में जसवंत सिंह का भाषण 12 पेज का था और 2009 में प्रणव मुखर्जी ने 18 पृष्ठ का बजट भाषण दिया था। (एजेंसी)

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