RBI ने महंगाई पर लगाम के लिए ब्याज दरों में वृद्धि के दिए संकेत
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RBI ने महंगाई पर लगाम के लिए ब्याज दरों में वृद्धि के दिए संकेत

आवश्यक उपभोक्ता वस्तुओं के दामों को इस समय सहज स्तर से काफी उंचा बताते हुए रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने के लिये एक बार फिर नीतिगत दरों में वृद्धि किए जाने का आज संकेत दिया। उन्होंने कहा कि मौद्रिक नीति से मुद्रास्फीति संबंधी प्रत्याशाओं पर अंकुश लगाने की जरूरत है।

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मुंबई : आवश्यक उपभोक्ता वस्तुओं के दामों को इस समय सहज स्तर से काफी उंचा बताते हुए रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने के लिये एक बार फिर नीतिगत दरों में वृद्धि किए जाने का आज संकेत दिया। उन्होंने कहा कि मौद्रिक नीति से मुद्रास्फीति संबंधी प्रत्याशाओं पर अंकुश लगाने की जरूरत है।
मौद्रिक एवं रिण नीति की कल होनी वाली दूसरी तिमाही समीक्षा की पूर्वसंध्या पर राजन ने कहा अकेले मौद्रिक नीति से ही अर्थव्यवस्था को उच्च आर्थिक वृद्धि के रास्ते पर नहीं ले जाया जा सकता। उन्होंने ईंधन मूल्य वृद्धि सहित वित्तीय और नियामकीय नीतियों को भी अनुकूल बनाने की आवश्यकता पर बल दिया है।
विशेषज्ञों के बीच रिजर्व बैंक द्वारा कराये गये एक सर्वेक्षण में चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि दर में तीव्र गिरावट का अनुमान व्यक्त किया गया है। विशेषज्ञों के अनुसार चालू वित्त वर्ष की आर्थिक वृद्धि पहले के 5.7 प्रतिशत से घटकर 4.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
रिजर्व बैंक की वृहद्आर्थिक और मौद्रिक विकास नीति में राजन ने कहा, आर्थिक वृद्धि के जोखिमों पर उचित ढंग से गौर करते हुये मौद्रिक नीति में मुद्रास्फीतिक धारणाओं पर अंकुश लगाने का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ने की आवश्यकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि थोक और खुदरा मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति दोनों के ही मौजूदा दायरे में रहने का अनुमान है और यह संतोषजनक स्तर से उपर है।
खाद्य पदार्थों के उंचे दाम, विशेषकर प्याज और अन्य सब्जियों के उंचे दाम से थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति सितंबर में सात महीने के उच्चस्तर 6.46 प्रतिशत पर पहुंच गई। लगातार चौथे महीने थोक मूल्यों पर आधारित मुद्रास्फीति में बढ़त दर्ज की गई। इससे पहले अगस्त में यह 6.1 प्रतिशत और जुलाई में 5.85 प्रतिशत रही। एक साल पहले सितंबर में यह 8.07 प्रतिशत रही थी।
रिपोर्ट में राजन ने इस बारे में भी संकेत दिया कि रपये की विनिमय दर में स्थिरता लाने के लिये जो विशेष उपाय किये गये थे उन्हें धीरे धीरे वापस लिया जायेगा। रिजर्व बैंक ने इस दिशा में पहले ही कदम उठाने शुरू कर दिये हैं। बैंकों की अल्पकालिक उधार की सीमांत स्थायी सुविधा पर ब्याज दर में 1.25 प्रतिशत कटौती की जा चुकी है।
रिजर्व बैंक के पेशेवर सर्वेक्षण के अनुसार थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति पहले के 5.3 प्रतिशत के अनुमान से बढ़कर 6 प्रतिशत तक पहुंच जायेगी जबकि आर्थिक वृद्धि के मोर्चे पर वृद्धि अनुमान 5.7 प्रतिशत से गिरकर 4.8 प्रतिशत रह जायेगी। रिपोर्ट में उम्मीद जताई गई है कि बेहतर मानसून, निर्यात में और औद्योगिक उत्पादन में सुधार के चलते चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि में तेजी आयेगी।
दूसरी तिमाही मौद्रिक समीक्षा की पूर्वसंध्या पर जारी इस रिपोर्ट में स्वीकार किया गया है कि आर्थिक वृद्धि की दर क्षमता से कहीं कम है, ऐसे में इसमें सुधार लाने के लिये ईंधन की कीमतें बढ़ाने, उत्पादकता बढ़ाने और परियोजना क्रियान्वयन में तेजी लाने के साथ साथ मौद्रिक, वित्तीय और नियामकीय नीतियों में आवश्कयतानुसार बदलाव की जरूरत होगी।
अमेरिका में उदार मौद्रिक नीति से कदम वापस खींचने के मुद्दे पर रिजर्व बैंक ने कहा, वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार अभी भी कमजोर है, ऐसे में वैश्विक अर्थव्यवस्था में नकदी का प्रवाह धीमा पड़े इससे पहले ही घरेलू अर्थव्यवस्था को मजबूती के रास्ते पर लाने की चुनौती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वृहदआर्थिक जोखिम को देखते हुये मुद्रास्फीति बढ़ने का दबाव अभी भी बना हुआ है, राजकोषीय मोर्चे पर भी लक्ष्यों के पिछड़ने का खतरा है, यह नई चुनौती है। चालू खाते के घाटे के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल के व्यापार आंकड़ों को देखते हुये यह उम्मीद बंधी है कि दूसरी छमाही में स्थिति सुधरेगी। विशेषज्ञों ने चालू खाते का घाटा कम होकर 3.5 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया है। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में यह घाटा जीडीपी का 4.9 प्रतिशत रहा। पिछले वर्ष चालू खाते का घाटा जीडीपी का 4.8 प्रतिशत रहा था। (एजेंसी)

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