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नई दिल्ली : प्रवासी भारतीय एवं प्रमुख उद्योगपति लॉर्ड स्वराज पॉल ने चेतावनी दी है कि सरकार यदि अधिक नियमन के कदम उठाती है तो और अधिक लोग उन उपायों से बच निकलने का रास्ता तलाशेंगे। लॉर्ड पॉल ने कहा कि कंपनी संचालन में सुधार के उपाय करने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, इस बारे में काफी चर्चा हुई है कि हमें आगे कैसे बढ़ना चाहिए क्योंकि आत्म नियमन की अवधारणा विफल हो चुकी है और सरकार के यदि नियमने के लिए और अधिक का कानून बनाती है तो पहले से ज्यादा लोग उनसे बचने का रास्ता ढूंढेंगे। इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ डिरेक्टर्स द्वारा कल शाम दिल्ली में आयोजित एक समारोह में ब्रिटेन के कपारो समूह के संस्थापक अध्यक्ष पॉल ने अपने भाषण में यह भी कहा कि परिवर्तित वैश्विक परिस्थितियों को देखते हुए ऐसी शिक्षा पर ध्यान दिया जाना चाहिए जिसमें नैतिकता का दृष्टिकोण भी हो ताकि कंपनी संचालन व्यवस्था सुधरे।
उन्होंने कहा कि 2008 के वित्तीय संकट से साबित कर दिया कि पुराने मूल्य बेकार हो चुके हैं। पॉल ने कहा, विश्व में जो कुछ भी हो रहा है उसमें कंपनी संचालन के नियमों को अपनाना पहले से कही अधिक महत्वपूर्ण हो गया है लेकिन हमें इसमें सुधार के तरीके भी ढूंढने की जरूरत है।
नियम कानून से जुड़ी परेशानियों के हल के बारे में पॉल ने कहा, मेरा मानना है कि हमें शिक्षा परे सवाल पर ध्यान देना चाहिए और सोचना चाहिए कि शिक्षा कैसे दी जाए। सिर्फ अपने छात्रों को सबसे अच्छिी शिक्षा देने की जरूरत के बारे में नहीं बल्कि पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक, अंतरराष्ट्रीय और नैतिक दृष्टिकोण से जोड़ने के महत्व की बात भी कर रहा हूं। उन्हों ने कहा कि भारत में कुशल श्रमबल की जरूरत और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा में अपने को टिकाए रखने के लिए भी अच्छी शिक्षा व्यवस्था जरूरी है।
उन्होंने कहा, हमें अपनी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने और इसे और वैश्विक बनाने की जरूरत है ताकि हमारे युवा वृहत्तर विश्व से जुड़ी समस्याओं से निपटने के लिए तैयार हों। वूल्वरहैंप्टन और वेस्टमिंस्टर विश्वविद्यालयों के चांसलर पॉल ने कहा कि भारतीय विश्वविद्यालयों को वास्ताव में वैश्विक बनने के लिए शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण का फायदा उठाने की कोशिश जरूर करनी चाहिए।
उन्होंने कहा, भारत को इन रणनीतियों से पूरा फायदा हो इसके लिए हमें भारतीय विश्वविद्यालयों को विश्व स्तरीय बनाने की कोशिश करनी चाहिए। यदि भारत विश्व में ताकतवर आवाज बनना चाहता है तो उसके पास मजबूत और विश्व-स्तरीय विश्वविद्यालय होने चाहिए। (एजेंसी)