2002 हिट एंड रन केस: सलमान खान पर अब नए सिरे से चलेगा मुकदमा

बॉलीवुड स्टार सलमान खान को राहत देते हुए मुंबई की एक सत्र अदालत ने 2002 की लापरवाही से वाहन चलाने के उनके खिलाफ मामले की फिर से सुनवाई करने का गुरुवार को आदेश दिया।

ज़ी मीडिया ब्‍यूरो
मुंबई : बॉलीवुड स्टार सलमान खान को राहत देते हुए मुंबई की एक सत्र अदालत ने 2002 की लापरवाही से वाहन चलाने के उनके खिलाफ मामले की फिर से सुनवाई करने का गुरुवार को आदेश दिया। मुंबई सेशंस कोर्ट ने सलमान की अर्जी मंजूर कर ली है और 23 दिसंबर से इस केस में फ्रेश ट्रायल चलेगा। गौर हो कि सलमान खान ने फ्रेश ट्रायल को लेकर अर्जी दायर की थी।
सत्र अदालत न्यायाधीश डी डब्ल्यू देशपांडे ने अभिनेता की ओर से दायर एक याचिका पर यह आदेश पारित किया। अभिनेता ने अपनी याचिका में फिर से सुनवाई की मांग करते हुए कहा था कि मजिस्ट्रेट के समक्ष पहले पेश साक्ष्य खारिज किए जाएं क्योंकि वह अब गैर इरादतन हत्या के ज्यादा गंभीर आरोप का सामना कर रहे हैं।
अपने आदेश में देशपांडे ने कहा कि मामले की फास्ट ट्रैक सुनवाई हो और सुनवाई के दौरान सभी गवाहों से फिर से पूछताछ और जिरह की जाए। न्यायाधीश ने अभियोजन और बचाव पक्षों को अपने गवाहों की सूची दाखिल करने के लिए 23 दिसंबर की तारीख तय की। इस तारीख के बाद ताजा सुनवाई के लिए कोई तारीख तय की जाएगी।
इससे पहले खान के मामले की सुनवाई मजिस्ट्रेट अदालत में इुई थी, जिसने घटना के 10 साल बाद कहा था कि अभिनेता के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला बनता है। तब कम गंभीर अपराध- लापरवाही के चलते मौत के सिलसिले में उसके खिलाफ सुनवाई चल रही थी।
इससे पहले खान के मामले की सुनवाई मजिस्ट्रेट अदालत में हुई थी, जिसने घटना के 10 साल बाद कहा था कि अभिनेता के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला बनता है। उस समय कम गंभीर अपराध- लापरवाही के कारण मौत - के सिलसिले में उसके खिलाफ सुनवाई चल रही थी। चूंकि गैर इरादतन हत्या के मामले में सुनवाई सत्र अदालत में होती है, मजिस्ट्रेट ने मामला वहां भेज दिया।
सत्र अदालत ने खान के खिलाफ गैर इरादतन हत्या के मामले में आरोप तय किए। अगर यह आरोप साबित हो जाता है तो अभिनेता को 10 साल तक की जेल की सजा काटनी पड़ सकती है। तेज और लापरवाही से कार चलाने के मामले में उसे दो साल की सजा काटनी पड़ती।
खान ने मामले की फिर से सुनवाई के लिए सत्र अदालत में याचिका दायर की थी क्योंकि उन्हें मजिस्ट्रेट की अदालत में गैर इरादतन हत्या के नए आरोपों के परिप्रेक्ष्य में गवाहों से जिरह करने का अवसर नहीं दिया गया था।

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