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नई दिल्ली: दिल का दौरा जैसे गंभीर स्वास्थ्य मसलों पर यदि समय पर सतर्कता बरती जाए और समय समय पर लगातार जांच करवाई जाए, तो दिल का दौरा पड़ने का खतरा काफी कम हो सकता है। एक चिकित्सकीय विशेषज्ञ ने यह जानकारी दी। दिल का दौरा ऐसे हालात में पड़ता है, जब दिमाग के ऊतक ऑक्सीजन की कमी से अचानक काम करना बंद कर देते हैं। ऐसा रुधिर प्रवाह में बाधा या मस्तिष्क से जुड़ी किसी धमनी के क्षतिग्रस्त होने से हो सकता है।
दिल के दौरों के विशेषज्ञ और न्यूरो रेडियोलॉजिस्ट अमित असलम खान कहते हैं कि दिल का दौरा पड़ने के दो प्रमुख कारण हैं। खान ने एक वक्तव्य के दौरान कहा कि एक तरफ अवसाद, कोलेस्ट्राल, मधुमेह और धूम्रपान जैसे कारक दिल का दौरा पड़ने के लिए जिम्मेदार हैं। वह इंडिया इंटरनेशनल सेंटर (आईआईसी) में बुधवार को `टाइम इज ब्रेन : एन इंट्रोडक्शन टू न्यूरो-वैस्कुलर एमरजेंसीज` पर भाषण दे रहे थे।
खान ने कहा कि दिल के दौरे के कुछ पूर्व लक्षण होते हैं, जिन्हें मरीज और उसके परिवार द्वारा नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। जैसे हाथ-पांव हिलाने में तकलीफ, चेहरे पर विचलन, बोलने या चलने में तकलीफ।
उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण बात दिल का दौरा पड़ने के खतरों से इसके शुरुआती चरणों में ही निपटा जाए। उन्होंने कहा कि धूम्रपान जैसी आम सी बात दिल का दौरा पड़ने के खतरे को छह गुणा तक बढ़ा सकती है। (एजेंसी)