‘बरछे भाले नहीं बल्कि समता युक्त राजा को ही मिलती है असली विजय’
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‘बरछे भाले नहीं बल्कि समता युक्त राजा को ही मिलती है असली विजय’

भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी की ताबडतोड रैलियों और सरकार बनाने की मजबूत दावेदारी के बीच वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आज उम्मीद जतायी कि देश की जनता समता युक्त शासन चलाने वालों को ही अगले चुनावों में जिम्मेदारी सौंपेगी।

नई दिल्ली : भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी की ताबडतोड रैलियों और सरकार बनाने की मजबूत दावेदारी के बीच वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आज उम्मीद जतायी कि देश की जनता समता युक्त शासन चलाने वालों को ही अगले चुनावों में जिम्मेदारी सौंपेगी।
चिदंबरम ने लोकसभा में अंतरिम बजट पेश करते हुए कहा, ‘‘भाले बरछे नहीं बल्कि सिर्फ समता और बराबरी से युक्त सत्ता ही राजा को असली विजय दिलाती है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुझे यकीन है कि भारत के लोग ये जिम्मेदारी उन्हीं हाथों में सौंपेंगे जो समता द्वारा नियंत्रित सत्ता को धारण करे।’’
उन्होंने संप्रग-2 सरकार के आखिरी बजट (अंतरिम) भाषण में कहा कि दस साल में नार्थ ब्लॉक में रहते हुए उन्होंने अच्छा और बुरा दोनों ही समय देखे। ‘‘लेकिन मैंने कभी भी जवाहरलाल नेहरू के सपनों के भारत पर अपनी आस्था नहीं डिगने दी। सुनील खिलनानी के शब्दों में कहें तो लोकतंत्र, धार्मिक सहिष्णुता, आर्थिक विकास, सांस्कृतिक बहुलवाद जैसे विविध मूल्यों को समर्पित एक आधुनिक राज्य बनाने के लिए हर संभव सहयोग देने के उद्देश्य पर अपनी आस्था नहीं डिगने दी।’’
चिदंबरम ने कहा कि भारत ही वह पहला गैर पश्चिमी और विश्व में पहला गरीब देश है जो शासन के लोकतांत्रिक उददेश्यों के लिए प्रतिबद्ध है। लोकतंत्र विविधता को स्वीकारता है, विसम्मति का सम्मान करता है, बहस को प्रोत्साहित करता है और चुने हुए प्रतिनिधियों की मार्फत राजनीतिक फैसले करता है।
उन्होंने कहा, ‘‘शासन का विकल्प ना तो लोकप्रियतावाद है, ना बहुसंख्यावाद और न ही व्यक्तिवाद है।’’ चिदंबरम ने हमेशा की तरह अपने चिर परिचित अंदाज में भाषण का समापन महान संत थिरूवल्यूवर के शब्दों से किया।
(एजेंसी)

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