‘AAP की मुफ्त पानी नीति से बर्बाद हो सकता है पानी'
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‘AAP की मुफ्त पानी नीति से बर्बाद हो सकता है पानी'

द एनर्जी एण्ड रिसर्च इंस्टीट्यूट (टीईआरआई) के महानिदेशक आर के पचौरी का कहना है कि पानी और बिजली पर ‘आम आदमी पार्टी’ की नीतियां भले ही बहुत अच्छे इरादे से तैयार की गई हों लेकिन यह अपेक्षित लक्ष्य हासिल करने का तरीका नहीं है क्योंकि 600 लीटर से अधिक पानी की मुफ्त आपूर्ति से बड़ी मात्रा में पानी बर्बाद हो सकता है।

नई दिल्ली : द एनर्जी एण्ड रिसर्च इंस्टीट्यूट (टीईआरआई) के महानिदेशक आर के पचौरी का कहना है कि पानी और बिजली पर ‘आम आदमी पार्टी’ की नीतियां भले ही बहुत अच्छे इरादे से तैयार की गई हों लेकिन यह अपेक्षित लक्ष्य हासिल करने का तरीका नहीं है क्योंकि 600 लीटर से अधिक पानी की मुफ्त आपूर्ति से बड़ी मात्रा में पानी बर्बाद हो सकता है।
उन्होंने कहा ‘‘इरादे बहुत अच्छे हैं लेकिन मैं इस बारे में आश्वस्त नहीं हूं कि यह लक्ष्य हासिल करने का बेहतरीन तरीका है। पानी और बिजली के मामले में आपको पानी की आपूर्ति और बिजली की आपूर्ति के पूरे अर्थशास्त्र को देखना होगा।’’ पचौरी से ‘आम आदमी पार्टी’ सरकार की पानी और बिजली की नीतियों के बारे में पूछा गया था।
उन्होंने कहा ‘‘आपको यह भी सुनिश्चित करने की जरूरत है कि आप व्यवस्था में सुधार कर रहे हैं ताकि बर्बादी और लीकेज को रोका जा सके तथा हर स्तर पर पानी की गुणवत्ता में सुधार हो। अब, अगर आप कोई आपूर्ति मुफ्त करने जा रहे हैं, तो उसका सही तरीके से इस्तेमाल करने के लिए आप क्या कर रहे हैं।’’
पचौरी ने कहा कि अगर लोगों को 600 या 700 लीटर पानी मुफ्त में दिया जाता है तो उनसे इसका सही तरीके से उपयोग करने की अपेक्षा कैसे की जा सकती है। वर्ष 2002 से जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल के अध्यक्ष रहे पचौरी ने कहा ‘‘यह अर्थशास्त्र का बहुत ही मूलभूत पक्ष है। लोगों को यह समझना होगा कि किसी चीज का अगर वह उपयोग कर रहे हैं और उसकी कमी है तो उसका किफायती उपयोग करना होगा।’’
‘आप’ की नीतियों पर अपनी टिप्पणियों में उन्होंने कहा ‘‘मैंने यह पहले भी कहा है, मैं माफी चाहूंगा। मैं इरादों का पूरा सम्मान और पूरी तारीफ करता हूं लेकिन मैं इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं हूं कि जो लक्ष्य वह पूरा करना चाहते हैं, उसके लिए यह बेहतरीन तरीके हैं।’’ सत्ता में आने के 48 घंटे के अंदर, अरविंद केजरीवाल नीत सरकार ने 30 जनवरी को 667 लीटर पानी प्रत्येक घर को मुफ्त आपूर्ति करने का वादा तो पूरा किया लेकिन इसकी दरों में 10 फीसदी की वृद्धि भी कर दी।
टीईआरआई के अध्यक्ष ने कहा ‘‘जब आप पानी की बात करते हैं तो यह सिर्फ वह पानी ही नहीं है जो तय मात्रा में आपूर्ति किया जाना है, बल्कि इसमें गुणवत्ता का एक निश्चित स्तर भी शामिल है और यही वजह है कि दिल्ली जैसे शहर को बोतलबंद पानी पर निर्भर करना पड़ रहा है। हमें ऐसा पीने का पानी चाहिए जो हम नल से लेने के बाद बिना किसी डर के पी सकें।’’

पचौरी ने उम्मीद जताई कि वर्तमान दिल्ली सरकार और प्रशासन पानी की गुणवत्ता में सुधार सुनिश्चित करेगा ताकि लोगों को प्लास्टिक की बोतलों में बंद पानी न खरीदना पड़े। प्लास्टिक न केवल प्रदूषण बढ़ाता है बल्कि बोतलबंद पानी निर्धनतम लोगों की पहुंच से बाहर भी है। हालिया खबरों में कहा गया था कि दिल्ली दुनिया का सर्वाधिक प्रदूषित शहर है। इस बारे में पूछने पर पचौरी ने कहा ‘‘मैं कहूंगा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है और मुझे उम्मीद है कि इसे सुधारा जा सकता है। मुझे उम्मीद है कि देरसवेर लोगों को स्वच्छ हवा, स्वच्छ पानी के महत्व का अहसास होगा।’’ येल विश्वविद्यालय द्वारा जारी ‘एनवायरनमेंटल परफॉर्मेन्स इन्डेक्स 2014’ में 178 देशों की सूची में भारत का स्थान 155वां है। इस बारे में पचौरी ने कहा ‘‘यह सामूहिक असफलता का मामला है। हम सरकार पर दोष नहीं मढ़ सकते और सरकार यह नहीं कह सकती कि लोग इस मुद्दे पर संवेदनशील नहीं हैं।’’
उन्होंने कहा ‘‘हमारे संस्थानों से चूक हुई और जनमानस में भी अधूरी जानकारी है जिसका नतीजा मेरी राय में सामूहिक असफलता के रूप में सामने आया। मैं मानता हूं कि हमें हमारे सभी संस्थानों पर पुनर्विचार की जरूरत है, हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि सभी पक्ष जागरूक हों ताकि इनमें से कुछ समस्याओं का हम मिलजुलकर समाधान हासिल कर सकें।’’ पचौरी ने आम चुनावों से पहले राजनीतिक दलों के घोषणापत्र में पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के मुद्दे शामिल करने और इन्हें राजनीतिक एजेंडा में जगह देने का आह्वान किया।

पचौरी ने कहा कि हालांकि कुछ समय से यहां भ्रष्टाचार है लेकिन अब उजागर हो रहा है इसी तरह पर्यावरण के मुद्दे भी जल्द ही सामने आएंगे। पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के मुद्दों पर संप्रग द्वितीय के कामकाज पर पचौरी ने मिलीजुली प्रतिक्रिया दी। उन्होंने जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना बनाने के लिए सरकार की सराहना की लेकिन यह भी कहा कि इसे ज्यादा बेहतर तरीके से कार्यान्वित किया जा सकता था।
पचौरी से पूछा गया कि नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी में से देश का नेतृत्व करने के लिए कौन बेहतर है। इस पर उन्होंने कहा ‘‘यह देश की जनता को तय करना है। मैं वही दोहराउंगा जो सलमान खान ने नरेंद्र मोदी के साथ कहा था कि बेहतर व्यक्ति जीते।’’ उन्होंने भीषण जलसंकट का सामना कर रहे पाकिस्तान की मदद का आह्वान करते हुए कहा कि सरकार को उर्जा के लिए परेशान पड़ोसी तक शीघ्र पहुंचना चाहिए।
पचौरी ने कहा ‘‘यह एक दुर्लभ अवसर है। अगर हमें पाकिस्तान के लोगों के इरादों और उनके रवैये से कोई समस्या है तो यह एक तरीका है जिसके जरिये हम उन्हें समझा सकते हैं कि हम दोस्ती का हाथ बढ़ा रहे हैं।’’ उन्होंने कहा ‘‘पाकिस्तान को 500 मेगावाट बिजली आपूर्ति करने की बात हो रही है। हम इस काम को यथाशीघ्र क्यों नहीं करते। क्या समस्या है। आप 500 मेगावाट बिजली की वाणिज्यिक आपूर्ति व्यवस्था कर सकते हैं। मुझे नहीं पता कि ऐसा कुछ करने में क्यों हिचकिचाहट हो रही है।’’ पचौरी के कार्यकाल के दौरान वर्ष 2007 में ‘जलवायु परिवर्तन पर अंतरसरकारी पैनल’ को नोबेल शांति पुस्कार प्रदान किया गया था। (एजेंसी)

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