एक और महिला इंटर्न ने SC के पूर्व जज पर लगाया यौन उत्पीड़न का आरोप

एक और महिला इंटर्न ने उच्चतम न्यायालय के एक (सेवानिवृत्त) न्यायाधीश पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया जिससे नया विवाद पैदा हो गया है। अब शीर्ष अदालत द्वारा इस मामले की जांच कराए जाने की मांग हो रही है।

नई दिल्ली : एक और महिला इंटर्न ने उच्चतम न्यायालय के एक (सेवानिवृत्त) न्यायाधीश पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया जिससे नया विवाद पैदा हो गया है। अब शीर्ष अदालत द्वारा इस मामले की जांच कराए जाने की मांग हो रही है।
एक समाचार चैनल ने एक साल से अधिक समय पहले सेवानिवृत्त होने वाले न्यायाधीश के बारे में बताया कि वह फिलहाल एक न्यायाधिकरण के प्रमुख हैं। यह घटना कथित रूप से उस समय की है जब वह उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश थे।
मई 2011 में इस न्यायाधीश के साथ आधिकारिक रूप से इंटर्नशिप करने वाली महिला ने हाल में उच्चतम न्यायालय में हलफनामे के साथ एक शिकायत दायर करके उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी।
हालांकि न्यायालय ने न्यायमूर्ति एके गांगुली के मामले में पांच दिसंबर 2013 के प्रस्ताव का हवाला देते हुए इस विषय पर गौर करने से इंकार कर दिया था। न्यायाधीशों की बैठक में स्पष्ट किया गया था कि इस न्यायालय के पूर्व न्यायाधीशों के खिलाफ पेश आवेदन उच्चतम न्यायालय के प्रशासन द्वारा स्वीकार्य योग्य नहीं हैं। न्यायालय के सूत्रों ने पुष्टि की कि इंटर्न से कहा गया है कि न्यायाधीशों की बैठक में हुए फैसले को देखते हुए उसके आवेदन को स्वीकार नहीं किया जा सकता और उसे कानून के तहत उचित उपचार हासिल करने की पूरी आजादी है।
खबरों में कहा गया कि पहली पीड़ित की तरह यह इंटर्न भी कोलकाता के पश्चिम बंगाल न्यायिक विज्ञान राष्ट्रीय विश्वविद्यालय की पूर्व छात्रा है। कहा जा रहा है कि अब वह उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों द्वारा बैठक में किये गये फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती देने पर विचार कर रही है।
उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एके गांगुली के खिलाफ इसी तरह के एक मामले में कार्रवाई की मांग को लेकर अभियान का नेतृत्व करने वाली अतिरिक्त सालिसिटर जनरल इंदिरा जयसिंह दूसरी इंटर्न के भी समर्थन में सामने आई हैं। उन्होंने कहा कि मेरा स्पष्ट मत है कि कार्रवाई होनी चाहिए और आरोपी तत्कालीन न्यायाधीश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय द्वारा जांच की जानी चाहिए।
एएसजी का कहना था कि उच्चतम न्यायालय का प्रशासनिक फैसला कथित घटना की गहन जांच कराने की राह में नहीं आना चाहिए और उनके पास एक सूचना है कि न्यायाधीशों का प्रस्ताव इंटर्न को स्वीकार्य है। इंदिरा ने कहा कि उनके पास सूचना थी कि न्यायाधीशों का प्रस्ताव इंटर्न को स्वीकार्य नहीं है और वह उसे चुनौती देने की तैयारी कर रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘इंटर्न जो योजना बना रही है वह यह मामले को उसकी न्यायिक क्षमता में अदालत में ले जाना है। किसी प्रशासनिक क्षमता में अदालत में पारित किसी प्रस्ताव को न्यायिक क्षमता में चुनौती दी जा सकती है।’’ इंदिरा ने कहा, ‘‘याचिका की सुनवाई किसी खुली अदालत में करनी होगी। न्यायाधिशों को मामले की सुनवाई के लिए मनोनीत करना होगा और स्वाभाविक है कि अदालत किसी तरह से यह नहीं कह सकती कि वह सुनवाई नहीं कर सकती।’’
उन्होंने कहा कि न्यायक्षेत्र का मुद्दा को छोड़ें, उच्चतम न्यायालय का दायित्व और प्राधिकार किसी महिला की तरह से किसी शिकायत की जांच करना है कि उसे किसी ऐसे शख्स की ओर से परेशान किया गया है जो उस वक्त न्यायाधीश के पद पर आसीन था जब वह उच्चतम न्यायालय में एक आधिकारिक इंटर्न थी। इंदिरा ने कहा कि कोई रास्ता नहीं है कि वे उससे अपना पीछा छुड़ा लें। (एजेंसी)

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