`सेना में जाति, क्षेत्र और धर्म के आधार पर होती हैं भर्तियां`
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`सेना में जाति, क्षेत्र और धर्म के आधार पर होती हैं भर्तियां`

सुप्रीम कोर्ट में सेना में भर्ती की नीति को चुनौती देने वाली याचिका में दावा किया गया है कि सेना की किसी रेजीमेन्ट में एक क्षेत्र के लोगों को ही शामिल करना असंवैधानिक है और यह जाति, धर्म और क्षेत्रीयता के आधार पर पक्षपात के समान है।

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नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में सेना में भर्ती की नीति को चुनौती देने वाली याचिका में दावा किया गया है कि सेना की किसी रेजीमेन्ट में एक क्षेत्र के लोगों को ही शामिल करना असंवैधानिक है और यह जाति, धर्म और क्षेत्रीयता के आधार पर पक्षपात के समान है।
हरियाणा के रेवाड़ी निवासी याचिकाकर्ता डा. आईएस यादव ने शीर्ष अदालत में दाखिल हलफनामे में सेना के दावे का प्रतिवाद किया है कि जिसमें प्रशासनिक सुविधा और परिचालन की जरूरतों का हवाला देते हुये इस नीति को न्यायोचित ठहराया गया है। याचिकाकर्ता ने कहा कि इस नीति को तुरंत खत्म किया जाना चाहिए क्योंकि भारतीय नौसेना और भारतीय वायुसेना में इसका पालन नहीं होता है।
इससे पहले, सेना ने न्यायालय को सूचित किया था कि वह जाति, क्षेत्र या धर्म के आधार पर भर्ती नहीं करती है लेकिन उसने प्रशासनिक सुविधा और परिचालन की जरूरतों के मद्देनजर एक क्षेत्र के लोगों को एक रेजीमेन्ट में शामिल करने को न्यायोचित ठहराया था। डा. यादव का तर्क है कि सेना ने नौसेना और वायुसेना में इनमें परिचालन की जरूरतों के मद्देनजर भर्ती प्रक्रिया को न्यायोचित ठहराया है जो जाति, क्षेत्र और धर्म पर आधारित नहीं है। लेकिन दूसरी ओर वह अपने यहां धर्म, क्षेत्र और जाति के आधार पर भर्ती को न्यायोचित ठहराते हुये इसे प्रशासनिक सुविधा और परिचालन की जरूरत बता रही है।
उनका आरोप है कि जाति, क्षेत्र और धर्म के आधार पर बड़ी संख्या में युवकों के साथ अनावश्यक पक्षपात हो रहा है और इस तरह सेना में भर्ती के समय उनके मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है। डा. यादव का तर्क है कि भारतीय सेना उन सभी भारतीय नागरिकों के लिये होनी चाहिए जो चुस्त दुरूस्त हैं और सैन्य सेवाओं की जिम्मेदारी लेने के लिये तैयार हैं। उनका कहना है कि सेना में 22 रेजीमेन्ट ऐसी हैं जो जाति, क्षेत्र और धर्म पर आधारित हैं। (एजेंसी)

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