सुप्रीम कोर्ट ने न्यायपालिका को बदनाम करने वाले ‘भ्रामक अभियान’ पर चिंता जाहिर की। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस आरएम लोढ़ा ने सोमवार को कोलेजियम सिस्टम का बचाव करते हुए कहा कि इसमें कोई गड़बड़ी नहीं है। कोलेजियम सिस्टम फेल नहीं हुआ है।
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ज़ी मीडिया ब्यूरो
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने न्यायपालिका को बदनाम करने वाले ‘भ्रामक अभियान’ पर चिंता जाहिर की। सुप्रीम कोर्ट ने न्यायपालिका को बदनाम करने के लिए किए जा रहे बार-बार के प्रयासों और भ्रामक अभियान पर सोमवार को कठोर रुख अपानते हुए कहा कि इससे लोकतंत्र को बड़ा नुकसान हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस आरएम लोढ़ा ने सोमवार को कोलेजियम सिस्टम का बचाव करते हुए कहा कि इसमें कोई गड़बड़ी नहीं है। कोलेजियम सिस्टम फेल नहीं हुआ है। यदि यह सिस्टम गलत है तो हम भी गलत हैं। उन्होंने कहा कि जनता न्यायपालिका में भरोसा करती है और हमें इसका सम्मान करना चाहिए। इससे बहुत बड़ा नुकसान हो रहा है। मैं न्यायाधीशों के उन पहले बैच से हूं जो कोलेजियम सिस्टम के जरिये आए। सीजेआई ने यह भी कहा कि कोई पूर्ण नहीं है। सोसायटी भी परफेक्ट नहीं है और हम भी उसी समाज से आते हैं। लोढ़ा ने न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम को भंग करने की कोशिश पर नाराजगी जताई है।
उन्होंने कहा कि जनता के भरोसे को न डिगाया जाए। हमें जनता के भरोसे को कायम रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस समय न्यायपालिका को बदनाम करने की साजिश चल रही है। गौर हो कि सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में कोलेजियम सिस्टम रद्द करने की याचिका खारिज हो गई। सुप्रीम कोर्ट ने न्यायाधीशों की नियुक्ति पर कॉलेजियम की सिफारिश को उसकी वेबसाइट पर सार्वजनिक करने की मांग करने वाली जनहित याचिका खारिज की।
प्रधान न्यायाधीश आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि न्यायपालिका को बदनाम करने के लिए भ्रामक अभियान चल रहा है और गलत सूचना फैलाने के बार-बार प्रयास किए गए हैं। न्यायालय ने यह टिप्पणी एक जनहित याचिका को खारिज करते हुए की। इसमें कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति केएल मंजूनाथ के नाम की पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश के रूप में सिफारिश करने के कॉलेजियम के फैसले को गैर बाध्यकारी घोषित करने की मांग की गई थी।
राम शंकर नाम के व्यक्ति द्वारा उच्चतम न्यायालय में दायर याचिका में आग्रह किया गया था कि भविष्य में न्यायाधीशों की नियुक्ति पर कॉलेजियम की सभी सिफारिशों को शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर डाला जाना चाहिए। सुनवाई शुरू होते ही पीठ ने याचिकाकर्ता से जानना चाहा कि उसे इस बारे में किसने सूचना दी कि कॉलेजियम ने किसी नाम की सिफारिश की है। प्रधान न्यायाधीश ने पूछा कि आपको किसने बताया कि उनके (मंजूनाथ) नाम की पदोन्नति के लिए सिफारिश की गई है। क्योंकि मैं प्रधान न्यायाधीश हूं, मुझे खुद नहीं पता कि क्या कोई दूसरा कॉलेजियम भी है।
उन्होंने आगे कहा कि कॉलेजियम ने कभी भी मंजूनाथ के नाम की सिफारिश नहीं की और कोई भ्रामक अभियान चलाया जा रहा है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि यदि जनता की आंखों में न्यायपालिका को बदनाम करने के लिए कोई अभियान चलाया जा रहा है तो आप लोकतंत्र को बड़ा नुकसान पहुंचा रहे हैं। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका से लोगों के विश्वास को न हिलाएं। ईश्वर के लिए न्यायपालिका को बदनाम करने की कोशिश नहीं करें। पीठ में न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन भी थे।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि एक संस्था के रूप में लोगों को चुनने में कॉलेजियम की अपनी सीमाएं हैं। उन्होंने कहा कि आखिरकार न्यायाधीश भी उसी समाज से आते हैं। लेकिन केवल एक या दो न्यायाधीशों के खिलाफ आरोपों की वजह से कोई अभियान चलाना अनुचित है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि वह कॉलेजियम प्रणाली की ही देन हैं और नरीमन जो उनके साथ बैठे हैं, वह कॉलेजियम प्रणाली से शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत होने वाले नवीनतम न्यायाधीश हैं। उन्होंने कहा कि यदि आप कहते हैं कि प्रणाली विफल हो गई है तो इसकी देन भी विफल हो गई है। यदि आप ऐसा कहते हैं, तो हम भी विफल हो गए हैं और हर कोई विफल हो गया है।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि वर्तमान में सभी न्यायाधीश कॉलेजियम प्रणाली की देन हैं। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका का नाम खराब करने के लिए जिस तरह अभियान चलाया जा रहा है, वह देश के लिए बड़ी हानि की जा रही है। (एजेंसी इनपुट के साथ)