लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार के दौरान कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने को लेकर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ दायर की गई चार्जशीट को कोर्ट ने गुरुवार को लौटा दिया है। कोर्ट के इस कदम से उत्तर प्रदेश सरकार और यूपी पुलिस को झटका लगा है।
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ज़ी मीडिया ब्यूरो
नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार के दौरान कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने को लेकर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ दायर की गई चार्जशीट को कोर्ट ने गुरुवार को लौटा दिया है। कोर्ट के इस कदम से उत्तर प्रदेश सरकार और यूपी पुलिस को झटका लगा है।
उत्तर प्रदेश पुलिस को गुरुवार को उस समय विचित्र स्थिति का सामना करना पड़ा जब शहर की एक अदालत ने कथित रूप से घृणा फैलाने वाले भाषण के सिलसिले में बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ आरोपपत्र का संज्ञान लेने से इनकार कर दिया और उसे पुलिस को लौटा दिया। कोर्ट ने चार्जशीट के कुछ बिंदुओं पर आपत्ति जताई। कोर्ट ने कहा कि इस चार्जशीट में कुछ तकनीकी खामियां हैं और इसमें जिन धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं वो सही नहीं हैं।
अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सुंदर लाल ने शाह के खिलाफ आरोपपत्र का संज्ञान लेने से इनकार कर दिया क्योंकि पुलिस ने आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 173 (2) के प्रावधानों का अनुपालन नहीं किया था। इसके तहत अदालत में आरोपपत्र दाखिल करने से पहले आरोपी को गिरफ्तार करने का प्रयास करना होता है।
अदालत ने कहा कि पुलिस ने आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 173 (2) के प्रावधानों के तहत वारंट या कुर्की प्रक्रिया का आग्रह नहीं किया। अदालत ने त्रुटि हटाने के लिए आरोपपत्र लौटाते हुए कहा कि पुलिस भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत आरोपपत्र दाखिल नहीं कर सकती क्योंकि इसे संबंधित अधिकारी की ओर से एक निजी शिकायत के रूप में दाखिल करना होगा जिसने निषेधाज्ञा लागू की और जिसका उल्लंघन हुआ। पुलिस ने यहां लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान कथित रूप से घृणा फैलाने वाला भाषण देने के सिलसिले में भाजपा अध्यक्ष को बुधवार को आरोपित किया था।
गौर हो कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ उत्तर प्रदेश की पुलिस ने बुधवार को आरोपपत्र दाखिल किया था। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी मनोज सिद्धू की अदालत में 49 वर्षीय शाह के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया गया। चुनाव आचार संहिता का कथित उल्लंघन करने वाले भाषण के सिलसिले में यह आरोपपत्र दाखिल किया गया। धर्म, नस्ल, जाति और समुदाय के आधार पर वोट मांगने को लेकर शाह के खिलाफ जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 123 (3) के तहत तथा सरकारी सेवक के आदेश की अवज्ञा करने से जुड़ी आईपीसी की धारा 188 के तहत आरोपपत्र दाखिल किया गया।
गौरतलब है कि शाह उस समय विवाद में आ गए थे जब उन्होंने कथित रूप से कहा था कि 2014 का लोकसभा चुनाव पिछले साल उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में हुए दंगों के ‘अपमान का बदला’ लेने का एक अवसर है। शाह की ‘बदला’ वाली टिप्पणी पर ध्यान देते हुए चुनाव आयोग ने उन्हें आचार संहिता के प्रथम दृष्टया उल्लंघन के लिए नोटिस जारी किया था। शाह ने आचार संहिता के उल्लंघन से इंकार करते हुए चुनाव आयोग से कहा था कि वह उनको जारी किये गये नोटिस पर पुनर्विचार करे। उन्होंने कहा था कि उनकी टिप्पणियों को सही परिप्रेक्ष्य में नहीं लिया गया। बाद में उन पर लगे प्रतिबंध को हटा लिया गया था।