नई दिल्ली : संघ लोकसेवा आयोग द्वारा अपनी परीक्षाओं में कथित रूप से हिंदी भाषा का महत्व कम किए जाने का मुद्दा मंगलवार को लोकसभा में उठा लेकिन केंद्र सरकार ने कोई स्पष्ट जवाब नहीं देते हुए कहा कि सदस्यों की ओर इस विषय पर चर्चा के नोटिस आने पर सरकार अपनी प्रतिक्रिया देगी।
लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान वरिष्ठ भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी ने यह सवाल उठाते हुए कहा कि हिंदी सेवा में आने वाले अधिकारियों की संख्या घटकर दो फीसदी रह गयी है और ऐसे में राजभाषा के प्रोत्साहन के लिए बनायी गयी सभी योजनाएं निर्थक साबित हो रही है।
जोशी ने कहा कि संघ लोक सेवा आयोग ने परीक्षा की जो पद्धति अपनायी है उससे आने वाले समय में हिंदी तो क्या तमिल, तेलुगू आदि सभी भारतीय भाषाओं का ही सफाया हो जाएगा। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या केवल अंग्रेजी भाषा में सरकार चलेगी। उन्होंने कहा कि यूपीएससी के रवैये को लेकर छात्र आंदोलनरत हैं और यह उनके साथ ही नहीं बल्कि हिंदी भाषा के साथ भी अन्याय है।
गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इस बात से इनकार किया कि हिंदी भाषा के महत्व को कम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हिंदी का महत्व दिनोंदिन बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि सभी भारतीय भाषाओं के प्रोत्साहन के लिए हमारी सरकार सब कुछ करने को तैयार है।
गृह राज्य मंत्री किरेन रिजीजू ने इस सवाल के जवाब में कहा कि हिंदी भाषा को प्रोत्साहित करना केवल केंद्र सरकार की नहीं बल्कि राज्यों की भी बराबर की जिम्मेदारी है। प्रश्नकाल के बाद भी कई सदस्यों ने इस मुद्दे को उठाया और सरकार से जवाब की मांग की। इस पर संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडु ने कहा कि इस विषय पर सदस्यों की ओर से चर्चा के नोटिस आने पर सरकार अपनी प्रतिक्रिया देगी।