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ज़ी मीडिया ब्यूरो/बिमल कुमार
नई दिल्ली : वर्ष 2014 को विगत वर्षों की विभंजनकारी और टकराव की राजनीति से राहत देने वाला वर्ष बताते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि वह अपने साथी नागरिकों के विवेक की सराहना करते हैं, जिन्होंने ऐसे उदीयमान भारत में स्थिरता, ईमानदारी और विकास के लिए मत दिया, जिसमें भ्रष्टाचार का कोई स्थान न हो। उन्होंने कहा, आजादी के 75 साल पूरे होने पर यानी 2022 तक देश के प्रत्येक परिवार का अपना पक्का मकान होगा।
लोकसभा चुनाव के बाद बनी नरेंद्र मोदी सरकार के भावी कार्यक्रमों का खाका दर्शाने वाले राष्ट्रपति के इस अभिभाषण में कहा गया, जब देश अपनी स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे करेगा तब प्रत्येक परिवार का अपना पक्का घर होगा जिसमें पानी का कनेक्शन, शौचालय सुविधाएं और चौबीसों घंटे विद्युत आपूर्ति तथा आवागमन की सुविधाएं होंगी।
मुखर्जी ने केन्द्रीय कक्ष में संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए कहा, देश को ऐसी मजबूत और स्थिर सरकार की आवश्यकता है जो प्रभावी नेतृत्व प्रदान करे। इस वर्ष के प्रारंभ में गणतंत्र दिवस के अपने भाषण में मैंने आशा व्यक्त की थी कि 2014 विगत वर्षों की विभंजनकारी और टकराव की राजनीति से राहत देने वाला वर्ष होगा। उन्होंने कहा, आज यहां मैं अपने साथी नागरिकों के विवेक की सराहना करता हूं, जिन्होंने ऐसे उदीयमान भारत में स्थिरता, ईमानदारी और विकास के लिए मत दिया, जिसमें भ्रष्टाचार का कोई स्थान न हो। उन्होंने संगठित, सुदृढ और आधुनिक भारत... एक भारत श्रेष्ठ भारत.. के लिए मत दिया है।
मेरी सरकार इन आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए इस महान देश की 125 करोड़ जनता के साथ मिलकर काम करेगी। मुखर्जी ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया कि स्वतंत्रता के इतने दशकों बाद भी अल्पसंख्यक समुदाय गरीबी से पीड़ित है और सरकारी स्कीमों के लाभ उस तक नहीं पहुंचते हैं। राष्ट्रपति ने कहा, मेरी सरकार भारत की प्रगति में सभी अल्पसंख्यकों को बराबर का भागीदार बनाने के लिए कृतसंकल्प है।
मोदी सरकार का रोडमैप बताने वाले राष्ट्रपति के अभिभाषण में अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना सरकार के लिए बड़ा उद्देश्य कहा गया। इसमें कहा गया, हम अपनी अर्थव्यवस्था को सतत उच्च विकास पर ले जाने के लिए मिल जुल कर कार्य करेंगे, महंगाई नियंत्रित करेंगे, निवेश चक्र में तेजी लाएंगे, रोजगार सृजन तेज करेंगे और अपनी अर्थव्यवस्था के प्रति घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय समुदाय का विश्वास बहाल करेंगे।
राष्ट्रपति ने 16वीं लोकसभा के चुनाव को उम्मीदों का चुनाव बताते हुए कहा कि यह हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण पड़ाव है। चुनावों में 66.4 प्रतिशत मतदाताओं की रिकॉर्ड भागीदारी और लगभग 30 वर्षों पश्चात किसी एक ही पार्टी को मिला स्पष्ट जनादेश लोगों की बढी हुई आकांक्षाओं और उनके इस विश्वास को दर्शाता है कि उन्हें लोकतांत्रिक प्रक्रिया से ही पूरा किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि मतदाताओं ने जाति, पंथ, क्षेत्र और धर्म की सीमाओं को तोडा है और उन्होंने सुशासन एवं विकास के पक्ष में एकजुट होकर निर्णायक मत दिया है।
लोकसभा के नवनिर्वाचित सदस्य, राज्यसभा के सदस्य, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उनके मंत्रि परिषद सहयोगी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और विपक्ष के अन्य नेताओं ने राष्ट्रपति के 50 मिनट तक चले अभिभाषण को ध्यान से सुना। अभिभाषण के दौरान कई मौकों पर सदस्यों ने मेजें थपथपाकर राष्ट्रपति की घोषणाओं का स्वागत किया।
विदेश नीति के बारे में राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार की अपने अड़ोस पड़ोस के माहौल को शांतिपूर्ण और स्थिर रखने तथा आर्थिक रूप से जोडने की दिशा में प्रतिबद्धता और संकल्प को दर्शाती है जो दक्षिण एशियाई क्षेत्र के सामूहिक विकास और समृद्धि के लिए अनिवार्य है। उन्होंने कहा, हम दक्षिण एशियाई नेताओं के साथ मिलकर सार्क (दक्षेस) को क्षेत्रीय सहयोग के प्रभावी साधन बनाने और वैश्विक मुद्दों पर सामूहिक आवाज बनने के लिए कार्य करेंगे।
राष्ट्रपति ने कहा, मेरी सरकार समाज के विकास और राष्ट्र की समृद्धि में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करती है। वह संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण उपलब्ध कराने के लिए वचनबद्ध है। उन्होंने कहा कि हाल ही में देश में महिलाओं के खिलाफ हिंसा की कुछ जघन्य घटनाएं हुई हैं। सरकार महिलाओं के विरूद्ध हिंसा को बिल्कुल सहन ना करने (जीरो टालरेंस) की नीति अपनाएगी और प्रभावी कार्यान्वयन के लिए दांडिक न्याय प्रणाली को समुचित रूप से मजबूत किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में घुसपैठ और गैर कानूनी प्रवासियों के मुद्दे को प्राथमिकता से निपटाया जाएगा तथा पूर्वोत्तर सीमा पर बाड लगाने के रूके संपूर्ण कार्य को शीघ्र पूरा किया जाएगा। मुखर्जी ने कहा कि ये सुनिश्चित करने के लिए विशेष प्रयास किये जाएंगे कि कश्मीरी पंडित अपने पूर्वजों की भूमि पर पूर्ण गरिमा, सुरक्षा और सुनिश्चित जीविका के साथ लौटें।
नवनिर्वाचित सदस्यों का स्वागत करते हुए राष्ट्रपति ने उनसे कहा कि हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि हम अपने नागरिकों की वजह से यहां हैं और उनकी सेवा करना हमारी सबसे पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। इस बार के आम चुनाव शांतिपूर्ण ढंग और सुचारू रूप से संपन्न होने का जिक्र करते हुए उन्होंने चुनाव आयोग और उससे जुडे सरकारी तंत्र को सफलतापूर्वक चुनाव संपन्न कराने के लिए बधाई दी।
राष्ट्रपति ने कहा, इन चुनावों में हमारे नागरिकों द्वारा दर्शाई गई अभूतपूर्व रूचि हमारे जीवंत लोकतंत्र की गहराती जडों का द्योतक है। उन्होंने कहा कि सरकार उसे मिले जनादेश को पूरा करने के लिए सही वातावरण तैयार करने हेतु प्रतिबद्ध है। इसके लिए सरकार ‘सबका साथ, सबका विकास’ सिद्धांत को अपनाएगी। हम लोकतांत्रिक संस्थाओं की विश्वसनीयता को पुन: कायम करने के लिए साथ मिलकर कार्य करेंगे। ‘मेरी सरकार न्यूनतम सरकार, अधिकतम सुशासन’ के मंत्र पर कार्य करेगी।
अभिभाषण में कहा गया कि सरकार गरीबों के प्रति समर्पित है। गरीबी का कोई धर्म नहीं होता है। भूख का कोई पंथ नहीं होता है और निराशा का कोई भूगोल नहीं होता। हमारे सामने सबसे बडी चुनौती भारत में गरीबी के अभिशाप को समाप्त करना है। मेरी सरकार केवल निर्धनता उपशमन से संतुष्ट नहीं होगी बल्कि यह गरीबी का पूर्ण निवारण करने के लक्ष्य के प्रति वचनबद्ध है।
राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार का दृढ मत के साथ कि विकास पर पहला हक गरीब का है, अपना ध्यान उन पर केन्द्रित करेगी, जिन्हें जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं की तुरंत आवश्यकता है। सरकार सहानुभूति, सहायता और सशक्तीकरण द्वारा सभी नागरिकों को हर तरह की सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए आवश्यक उपाय करेगी। खाद्य पदार्थों की कीमतों को बढने से रोकने को सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता बताते हुए उन्होंने कहा कि विभिन्न कृषि एवं कृषि आधारित उत्पादों के आपूर्ति पक्ष को सुधारने पर बल दिया जाएगा। मेरी सरकार जमाखोरी और कालाबाजारी को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाएगी। सरकार राज्यों की सर्वोत्तम प्रक्रियाओं को अपनाते हुए सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सुधार करेगी। मेरी सरकार इस वर्ष सामान्य से कम मानसून की संभावना के प्रति सतर्क है और इसके लिए उपयुक्त योजनाएं तैयार की जा रही हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत संघीय व्यवस्था वाला देश है। परंतु काफी वर्षों से, इसकी संघीय भावना को कमजोर किया गया है। राज्यों और केन्द्र को सामंजस्यपूर्ण ‘टीम इंडिया’ के रूप में काम करना चाहिए। राष्ट्रीय मुद्दों पर राज्यों के साथ सक्रियता से कार्य करने के लिए केन्द्र सरकार राष्ट्रीय विकास परिषद, अंतर राज्यीय परिषद जैसे मंचों को पुन: सशक्त बनाएगी। केन्द्र सहकारी संघवाद के जरिए राज्यों की त्वरित प्रगति में सहयाक बनेगा।