Trending Photos
नई दिल्ली : राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने दिल्ली की एक अदालत में दाखिल आरोपपत्र में कहा है कि आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन अपने सदस्यों को मासिक वेतन देता है और उनके मेहनताने में 1990 के दशक से 2011 तक पांच गुना बढ़ोतरी हुई।
हिजबुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन और प्रतिबंधित संगठन के नौ अन्य सदस्यों के खिलाफ दाखिल आरोपपत्र में एनआईए ने कहा है कि हिजबुल के कैडर नियमित तौर पर मासिक धन प्राप्त करते हैं। समूचे भारत में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए पाकिस्तान से कथित तौर पर करीब 80 करोड़ रूपये का कोष प्राप्त करने को लेकर एनआईए ने यह आरोपपत्र दाखिल किया है।
जांच एजेंसी ने कहा कि जांच में इस बात का खुलासा हुआ है कि हिजबुल मुजाहिदीन के प्रत्येक सक्रिय कैडर को अपनी भागीदारी के लिए इस संगठन से नियमित तौर पर मासिक धन मिला। यह मासिक मेहनताना 1990 के दशक के दो-तीन हजार रुपये से बढ़कर 2011 में 10,000-12,000 रूपया हो गया। जांच एजेंसी के मुताबिक आतंकवादी संगठन ने अपने हिमायती एवं अन्य लोगों के लिए धन के बंटवारे के लिए एक ढांचा विकसित किया। साथ ही, अदालती मामलों का सामना करने के लिए अपने कैडर को धन भी मुहैया कराया।
एनआईए ने कहा है कि जांच में इस बात का भी खुलासा हुआ कि हिजबुल ने समर्थकों, संचालकों, जमीनी स्तर पर काम करने वालों और भूमिगत कार्यकर्ताओं को धन का बंटवारा करने के लिए एक उत्कृष्ट ढांचा विकसित किया है। साथ ही, मारे जाने वाले एवं घायल आतंकवादियों के परिजनों को नियमित धन मुहैया करने के लिए भी एक तंत्र बनाया है। जांच एजेंसी ने कहा कि हिजबुल मुजाहिदीन अपने उन कैडरों को अदालती मामलों का सामना करने के लिए भी धन मुहैया करता है जो जम्मू कश्मीर लोक सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत में लिए गए हैं और जो आतंकवादी मामलों में मुकदमे का सामना कर रहे हैं। (एजेंसी)