मैंने ‘लज्जा’ में नहीं की इस्लाम की आलोचना: तसलीमा

बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन का कहना है कि उन्होंने अपने विवादग्रस्त उपन्यास ‘लज्जा’ में इस्लाम की आलोचना नहीं की और उनके खिलाफ फतवा इसलिए है क्योंकि उन्होंने अपनी कई अन्य किताबों में धर्म की आलोचना की है।

नई दिल्ली : बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन का कहना है कि उन्होंने अपने विवादग्रस्त उपन्यास ‘लज्जा’ में इस्लाम की आलोचना नहीं की और उनके खिलाफ फतवा इसलिए है क्योंकि उन्होंने अपनी कई अन्य किताबों में धर्म की आलोचना की है।

तसलीमा कहती हैं कि कई लोगों का मानना है कि मैंने ‘लज्जा’ में इस्लाम की आलोचना की है और बांग्लादेश के मुस्लिम कट्टरपंथियों ने मेरे खिलाफ फतवा जारी किया है-ये दोनों ही बातें झूठ हैं। मैंने ‘लज्जा’ में इस्लाम की आलोचना नहीं की और फतवा लज्जा की वजह से नहीं है। फतवा इसलिए है क्योंकि मैंने अपनी कई अन्य किताबों में इस्लाम की आलोचना की है।

‘लज्जा’ की 20 वीं वषर्गांठ के अवसर पर विशेष अंक के रूप में लाए गए नए अंग्रेजी अनुवाद की प्रस्तावना में नसरीन लिखती हैं, ‘लज्जा को विरोध के प्रतीक के तौर पर देखा जा सकता है। यह धर्म के नाम पर दुनिया भर में हो रही हिंसा, घृणा और हत्याओं के खिलाफ विरोध का प्रदर्शन है।’ इस ताजा अंक के लिए अनुवाद सामाजिक कार्यकर्ता-लेखिका अंचिता घटक ने किया है और किताब का प्रकाशन पेंग्विन बुक्स इंडिया ने किया है।

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