संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर पर शरीफ के बयान को भारत ने किया खारिज

भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में जम्मू कश्मीर पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ द्वारा की गईं ‘अस्वीकार्य टिप्पणियों’ को यह कहते हुए शनिवार को सिरे से खारिज कर दिया कि राज्य के लोगों ने सार्वभौमिक तौर पर स्वीकार किए गए लोकतांत्रिक सिद्धांतों के मुताबिक शांतिपूर्वक अपने प्रारब्ध का चयन किया है।

संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर पर शरीफ के बयान को भारत ने किया खारिज

संयुक्त राष्ट्र : भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में जम्मू कश्मीर पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ द्वारा की गईं ‘अस्वीकार्य टिप्पणियों’ को यह कहते हुए शनिवार को सिरे से खारिज कर दिया कि राज्य के लोगों ने सार्वभौमिक तौर पर स्वीकार किए गए लोकतांत्रिक सिद्धांतों के मुताबिक शांतिपूर्वक अपने प्रारब्ध का चयन किया है।

महासभा के पटल पर शरीफ द्वारा की गई टिप्पणियों पर जवाब देने के अपने अधिकार (राइट ऑफ रिप्लाई) का उपयोग करते हुए भारत ने कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र के सत्र में अपने संबोधन में ‘अवांछित संदर्भ’ दिया था।

संयुक्त राष्ट्र में भारतीय मिशन में प्रथम सचिव अभिषेक सिंह ने महासभा में कहा ‘मैं इस सम्माननीय सदन के ध्यान में लाना चाहूंगा कि जम्मू कश्मीर के लोगों ने सार्वभौमिक तौर पर स्वीकार किए गए लोकतांत्रिक सिद्धांतों और प्रथाओं के मुताबिक शांतिपूर्वक अपने प्रारब्ध का चयन किया है तथा यह सिलसिला जारी है। इसलिए हम पाकिस्तान के प्रतिष्ठित प्रतिनिधि की अस्वीकार्य टिप्पणियां सिरे से खारिज करते हैं।’

संयुक्त राष्ट्र में एक बार फिर जम्मू कश्मीर का मुद्दा उठाते हुए शरीफ ने कहा था कि कश्मीर के मुद्दे पर ‘पर्दा’ नहीं डाला जा सकता। दोनों देशों के बीच अगस्त में होने वाली विदेश सचिव स्तर की वार्ता रद्द होने के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराते हुए शरीफ ने कहा था कि यह विवादों के हल तथा आर्थिक एवं व्यापार संबंधों को बनाने का एक अवसर था जिसे एक बार फिर गंवा दिया गया।

उन्होंने कहा था ‘विदेश सचिव स्तर की वार्ता रद्द होने से हम निराश हैं। विश्व समुदाय ने भी देखा है कि यह एक और गंवाया गया अवसर था। पाकिस्तान को लगता है कि हमें विवादों के हल और आर्थिक तथा व्यापार संबंध बनाने के लिए वार्ता प्रक्रिया में बने रहना चाहिए। हम शांति के लाभों की अवहेलना न करें।’ अपने संबोधन में शरीफ ने कहा कि छह दशक से भी पहले संयुक्त राष्ट्र ने जम्मू कश्मीर में जनमत संग्रह कराने के लिए प्रस्ताव पारित किए थे।

उन्होंने कहा, ‘जम्मू कश्मीर के लोग अब तक उस वादे के पूरा होने का इंतजार कर रहे हैं। कश्मीरियों की कई पीढ़ियां आधिपत्य, हिंसा और मौलिक अधिकारों के हनन के साये में अपना जीवन गुजार चुकी हैं। खास तौर पर कश्मीरी महिलाएं गहरी पीड़ा और अपमान से गुजरी हैं।’

शरीफ ने दोहराया कि ‘जम्मू कश्मीर के मूल मुद्दे’ को हल करना होगा। उन्होंने कहा ‘यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय का दायित्व है। कश्मीर मुद्दे का जब तक जम्मू कश्मीर के लोगों की इच्छाओं के अनुसार समाधान नहीं होता तब तक हम इस मुद्दे पर पर्दा नहीं डाल सकते।’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मई में नयी दिल्ली में अपने शपथ ग्रहण समारोह में शरीफ को आमंत्रित किया था।

संयुक्त राष्ट्र महासभा में शरीफ ने कहा कि कश्मीर मुद्दे के हल के लिए दशकों से संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में और लाहौर घोषणापत्र की भावना के मुताबिक द्विपक्षीय तौर पर कई प्रयास किए गए। उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान बातचीत के जरिये इस समस्या के हल के लिए काम करने को तैयार है। कश्मीर विवाद के एक पक्ष के तौर पर जम्मू कश्मीर के लोगों के आत्म निर्णय के अधिकार के लिए हमारा समर्थन और वकालत हमारी ऐतिहासिक प्रतिबद्धता तथा दायित्व है।’ शरीफ ने कहा कि रचनात्मक बातचीत की नीति पर आगे बढ़ते हुए एक शांतिपूर्ण पड़ोस का निर्माण करना उनकी सरकार की आकांक्षा और प्रयास हैं।

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