भारतीय नौसेना में आज शामिल होगा विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य

रूस के विमानवाहक पोत एडमिरल गोर्शकोव का भारतीय अवतार आईएनएस विक्रमादित्य आज (शनिवार को) औपचारिक तौर पर भारतीय नौ सेना में शामिल कर लिया जाएगा। रक्षा मंत्री ए के एंटनी की मौजूदगी में भारतीय तिरंगा आईएनएस विक्रमादित्य पर फहराया जाएगा।

ज़ी मीडिया ब्यूरो
नई दिल्लीः रूस के विमानवाहक पोत एडमिरल गोर्शकोव का भारतीय अवतार आईएनएस विक्रमादित्य आज (शनिवार को) औपचारिक तौर पर भारतीय नौ सेना में शामिल कर लिया जाएगा। रक्षा मंत्री ए के एंटनी की मौजूदगी में भारतीय तिरंगा आईएनएस विक्रमादित्य पर फहराया जाएगा। भारतीय नौ सेना के लिए यह एक बेहतरीन घड़ी होगी। भारतीय इतिहास में पहली बार ऐसा होगा दो-दो कार्यशील विमानवाहक पोत होंगे। हमारी नौ सेना की समुद्री ताकत दोगुनी हो जाएगी। फिलहाल हमारे पास एक मात्र कार्यशील एयरक्राफ्ट करियर आईएनएस विराट (आर-22) है।
विक्रमादित्य की कई खासियत हैं, विक्रमादित्य एक बार में लगातार 45 दिन समुद्र में रह सकता है। इसके हवाई अड्डे से सात हजार समुद्री मील या 13 हजार किलोमीटर तक के अभियान लिए संचालित किया जा सकता है। इस 44 हजार 500 टन के इस्पात के शहर को समुद्र की छाती 30 नाट की गति से चीरने के लिए आठ नई पीढी की वाष्प भटि्टयां हैं जिनकी क्षमता 100 टीपीएच जो 64 बार्स के उच्च दाब में 180.000 एसएचपी की ऊर्जा पैदा करते हैं। विक्रमादित्य में उच्च स्तरीय स्वचालन क्षमता वाले नई पीढी की व्वायकर प्रोद्योगिकी है। उच्च ताप और उच्च क्षमता वाली भटि्टयां चार प्रोपेलरों को ऊर्जा प्रदान करती हैं। इसका हवाई अड्डा 284 मीटर लंबा और अधिकतम 60 मीटर चौड़ाई वाला है जो फुटबाल के तीन मैदानों को मिलाने के बाद बनता है। यह 20 मंजिले इमारत जितना ऊंचा है और इसमें 22 छतें हैं।
भारत और रूस के बीच इस एयरक्राफ्ट करियर के लिए वर्ष 2004 में समझौता हुआ था। समझौते के मुताबिक विक्रमादित्य को पहले 2008 में भारत को सौंपा जाना था, लेकिन बाद में डिलिवरी का समय बदलकर 2012 कर दिया गया, लेकिन इसके बॉयलर में आई तकनीकी खामी के चलते विक्रमादित्य की डिलीवरी एक साल और विलंबि हो गई और इसके लिए 16 नवंबर की तारीख तय की गई। इसकी कीमत को लेकर भी भारत और रूस के बीच मतभेद पैदा हो गए थे। रूसी प्रधानमंत्री पुतिन की भारत यात्रा के एक दिन पहले दोनों सरकारों ने एडमिरल गोर्शकोव की कीमत को अंतिम रूप देते हुए 2.35 बिलियन अमरीकी डॉलर तय किया गया। विक्रमादित्य मूल रूप से रूसी विमानवाहक पोत एडमिरल गोर्शकोव का अवतार है। विमान के डेक पर अत्याधुनिक मिग 29 के विमानों का सड्रन तैनात रहेगा, जिसे हाल ही नौ सेना को सौंपा गया है। सीहैरियर जैसे अन्य विमानों को भी विक्रमादित्य पर तैनात किया जाएगा। विक्रमादित्य 45300 टन भार वाला, 284 मीटर लम्बा और 60 मीटर ऊंचा युद्धपोत है।

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