एनडीए सरकार की ओर अधिकारियों को सोशल मीडिया पर हिंदी को प्राथमिकता देने के कथित निर्देश को ‘हिंदी थोपे जाने की’ शुरुआत करार देते हुए द्रमुक प्रमुख एम. करुणानिधि ने गुरुवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आर्थिक वृद्धि एवं सामाजिक विकास पर ध्यान देना चाहिए।
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ज़ी मीडिया ब्यूरो
नई दिल्ली/नई दिल्ली : एनडीए सरकार की ओर अधिकारियों को सोशल मीडिया पर हिंदी को प्राथमिकता देने के कथित निर्देश को ‘हिंदी थोपे जाने की’ शुरुआत करार देते हुए द्रमुक प्रमुख एम. करुणानिधि ने गुरुवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आर्थिक वृद्धि एवं सामाजिक विकास पर ध्यान देना चाहिए। जानकारी के अनुसार, गृह मंत्रालय का सारा कार्य अब हिंदी में होगा। साथ ही, मोदी सरकार के मंत्रियों और अफसरों को सार्वजनिक बातचीत में हिंदी को बढ़ावा देने के निर्देश भी दिए गए हैं। वहीं, मोदी सरकार का यह हिंदी प्रेम डीएमके के प्रमुख एम करुणानिधि को रास नहीं आ रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार, करुणानिधि ने इस मसले पर कहा कि हिंदी को अब थोपने की कोशिश की जा रही है।
करुणानिधि ने एक बयान जारी कर कहा है कि मोदी को विकास के मसलों पर फोकस करना चाहिए। उन्होंने सोशल मीडिया पर आधिकारिक संवाद हिंदी में करने के गृह मंत्रालय के आदेश की आलोचना करते हुए कहा कि कोई भी इस बात से इनकार नहीं कर सकता कि ये किसी की इच्छा के खिलाफ उस पर हिंदी थोपने की शुरुआत है। इसे गैर हिंदी भाषियों को दोयम दर्जे के नागरिक समझने की कोशिश के तौर पर देखा जाएगा।
करुणानिधि ने यह भी कहा कि मोदी के सभी शुभचिंतक चाहते हैं कि वो आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए काम करें। इतिहास भाषा की लड़ाई और हिंदी विरोधी आंदोलन का गवाह है। उन्होंने सवालिया लहजे कहा कि क्या हम नेहरू के उस आश्वासन को भूल सकते हैं जिसमें उन्होंने कहा था कि अंग्रेजी तब तक आधिकारिक भाषा रहेगी, जब तक गैर हिंदी भाषी चाहेंगे।
नब्बे वर्षीय नेता ने यहां जारी एक बयान में कहा कि हिंदी को प्राथमिकता दिए जाने को गैर-हिंदी भाषी लोगों के साथ भेदभाव करने और उन्हें दूसरे दर्जे के नागरिक मानने के प्रयास की दिशा में पहला कदम समझा जाएगा। उनकी पार्टी ने 1960 के दशक में तमिलनाडु में हिंदी विरोधी आंदोलन चलाया था। मीडिया में खबर है कि सभी केंद्रीय मंत्रालयों, विभागों, निगमों या बैंकों के अधिकारियों, जिनके सोशल मीडिया पर एकाउंट हैं, से कहा गया है कि उन्हें हिंदी का प्रयोग करना चाहिए या हिंदी एवं अंग्रेजी दोनों का प्रयोग करना चाहिए लेकिन हिंदी को प्राथमिकता देनी चाहिए।
करुणानिधि ने सवाल किया कि हिंदी को संविधान की आठवीं अनुसूची की अन्य भाषाओं के मुकाबले में प्राथमिकता क्यों दी जानी चाहिए। हिंदी के प्रयोग के विरूद्ध दशकों लंबे संघर्ष और अपनी पार्टी की भूमिका को याद करते हुए करुणानिधि ने कहा कि जब देश के विभिन्न वर्गों की आकांक्षाएं रचनात्मक प्रयासों से पूरा किए जाने की जरूरत है, तब संचार के लिए किसी भाषा में रुचि दिखाना भटकावपूर्ण कदम होगा।