जानिये ये हैं अक्षय तृतीया के खास शुभ मुहूर्त, इस बार सोना खरीदने का है महासंयोग
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जानिये ये हैं अक्षय तृतीया के खास शुभ मुहूर्त, इस बार सोना खरीदने का है महासंयोग

वैशाख के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के अवसर पर शुक्रवार को यानी आज अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर एक खास महासंयोग बन रहा है। आज वृन्दावन में विश्व प्रसिद्ध ठाकुर बांके बिहारी के भक्त सुबह में उनके चरण दर्शन एवं सायंकाल सर्वांग दर्शन कर सकेंगे। ऐसा मौका वर्ष में सिर्फ एक बार आता है।

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ज़ी मीडिया ब्‍यूरो
नई दिल्‍ली/मथुरा : वैशाख के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के अवसर पर शुक्रवार को यानी आज अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर एक खास महासंयोग बन रहा है। आज वृन्दावन में विश्व प्रसिद्ध ठाकुर बांके बिहारी के भक्त सुबह में उनके चरण दर्शन एवं सायंकाल सर्वांग दर्शन कर सकेंगे। ऐसा मौका वर्ष में सिर्फ एक बार आता है।
एक आचार्य के अनुसार अक्षय तृतीया इस बार अक्षय प्राप्ति का महासंयोग लेकर आ रही है। इस दिन उच्च राशि में चार ग्रह व सभी शुभ मुहूर्तों का अतिशुभ संयोग बन रहा है। उन्होंने बताया कि यह दिन सभी मांगलिक कार्यों के लिए तो शुभ है ही इसके अतिरिक्त खरीददारी जैसे अन्य कार्य करने के लिए भी बहुत शुभ है। कई वर्षों बाद इस वर्ष जो ग्रहों का संयोग बन रहा है इससे पूर्व ऐसा महासंयोग वर्ष 2003 में बना था।
अक्षय तृतीया पर इस बार शुभ मुहूर्त इस प्रकार है। 2 मई को वैशाख शुक्ल तृतीया (अक्षय तृतीया) सूर्योदय से मध्यकाल में 12.04 बजे तक विद्यमान रहने से स्नान-दान का पर्वकाल इसी समय में रहेगा। इस पावन दिन दान देने से तन-मन-धन, तीनों शुद्ध हो जाते हैं और कई प्रकार के लाभ हासिल होते हैं। शास्त्रों के अनुसार वैशाख शुक्ल तृतीया सोमवार द्वितीय पहर रोहिणी नक्षत्र शोभन योग में त्रेता युग की शुरुआत हुई थी। इसी युग में भगवान श्री वामन, भगवान श्री परशुराम एवं भगवान श्री राम ने अवतार लिया। इसी विलक्षण योग में बद्रीनाथ के पट खुलते हैं। इस दिन पूर्ण बलि स्वार्थ सिद्ध योग रहता है। इस दिन सोने-चांदी की खरीद और दान-पुण्य सबसे अधिक शुभ फल देने वाला होता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के चरण दर्शन करने से और बद्रीनाथ धाम के दर्शनों का पूरा फल श्रद्धालु को मिलता है।
मान्यताओं के अनुसार अक्षय तृतीया पर दान करने से अक्षय पुण्य मिलता है। सोना खरीदने से धन में वृद्धि होती है। वैशाख मास को भगवान विष्णु के नाम पर `माधव मास` कहा जाता है। इस मास के शुक्लपक्ष की तृतीया को सनातन ग्रंथों में अक्षय-फलदायी बताया गया है। इसी कारण इस तिथि का नाम `अक्षय तृतीया` पड़ गया। इस तिथि में थोड़ा या बहुत, जितना और जो कुछ भी दान दिया जाता है, उसका फल अक्षय हो जाता है। इस दिन हर व्यक्ति को अपनी साम‌र्थ्य के अनुसार दान अवश्य करना चाहिए।
इस दिन जौ-चने का सत्तू, दही-चावल, गन्ने का रस, दूध से बनी मिठाई, शक्कर, जल से भरे घड़े, अन्न तथा ग्रीष्म ऋतु में उपयोगी वस्तुओं के दान की बात कही गई है। धन होने पर दान जरूर करें, इससे मन को संतोष मिलता है और चित्त शुद्ध हो जाता है। अक्षय तृतीया संग्रह करने की बजाय दान देने की प्रेरणा देती है यह तिथि अपने नाम के अनुरूप अक्षय फल देने में समर्थ है।
इस दिन नदी में स्नान, भगवान विष्णु एवं देवी लक्ष्मी की पूजा कर दान करना से ये पुण्य कभी भी क्षय नहीं होते हैं। इस दिन विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करना भी काफी शुभ माना जाता हैं। इस दिन परशुराम जयंती और अक्षय तृतीया का पर्व एक साथ पड़ने की वजह से यह और भी शुभ फल देने वाला है। दिनों दिनों तक कभी भी इस मुहूर्त में सामानों की खरीदारी की जा सकती है। इसके अलावा गृह, वाहन आदि की खरीदारी भी शुभ मानी गई है। स्वर्ण चांदी की खरीदारी़ कभी न क्षय होने वाली इस तिथि में स्वर्ण और चांदी की खरीदारी को बहुत शुभ माना गया है।
इस दिन खरीदे जाने वाले जेवर एवं गहने घर की धन संपदा को बनाए रखने में काफी योगदान करते हैं। इसलिए हिन्दू परिवारों में इस दिन आभूषणों की खरीदारी की जाती हैं।
एक खास बात यह है कि अक्षय तृतीया के अवसर पर सभी लोगों को नए वस्त्र पहनकर तुलसी के पौधे को जल अर्पण करना चाहिए। इससे विभिन्न कार्यो में सफलता मिलती है।

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