इंटर्न यौन प्रताड़ना मामले को दबाया नहीं जा सकता: सिब्बल

विधि मंत्री कपिल सिब्बल ने यौन प्रताड़ना के मामले में दोषी न्यायमूर्ति एके गांगुली के खिलाफ महज सेवानिवृत्त होने के आधार पर आगे कार्रवाई नहीं करने के उच्चतम न्यायालय के फैसले पर शुक्रवार को सवाल उठाया और कहा कि इस मुद्दे को दबाया नहीं जा सकता।

नई दिल्ली : विधि मंत्री कपिल सिब्बल ने यौन प्रताड़ना के मामले में दोषी न्यायमूर्ति एके गांगुली के खिलाफ महज सेवानिवृत्त होने के आधार पर आगे कार्रवाई नहीं करने के उच्चतम न्यायालय के फैसले पर शुक्रवार को सवाल उठाया और कहा कि इस मुद्दे को दबाया नहीं जा सकता।
सिब्बल ने यहां संवाददाताओं से कहा कि मुझे थोड़ी निराशा हुई है क्योंकि संस्थान ने पाया है कि यौन संबंध बनाने के उकसावे की बात को सही पाया गया है और उसे मामले को आगे बढ़ाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि उनके विचार में प्रथम दृष्टया उच्चतम न्यायालय ने इस तरह से इस मामले को दबा दिया है कि शीर्ष अदालत ने कहा है कि उनका मामले से कोई लेना देना नहीं है क्योंकि वह अब न्यायाधीश नहीं हैं।
शीर्ष अदालत की तीन जजों की समिति ने न्यायमूर्ति गांगुली को एक विधि इंटर्न के खिलाफ अवांछित व्यवहार और यौन प्रकृति के आचरण का दोषी पाया है। करीब एक साल पहले उच्चतम न्यायालय से सेवानिवृत्त हो चुके न्यायमूर्ति गांगुली इस समय पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के प्रमुख हैं और उन पर एक इंटर्न ने पिछले वर्ष दिल्ली में होटल के एक कमरे में यौन रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है। न्यायाधीश गांगुली ने इन आरोपों से इनकार किया है।
भारत के प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवन ने कल व्याख्या दी थी कि चूंकि न्यायमूर्ति गांगुली घटना के समय सेवा में नहीं थे इसलिए उच्चतम न्यायालय द्वारा किसी प्रकार की आगे की कार्रवाई करने की जरूरत नहीं है । सिब्बल ने कहा कि यदि वह अब न्यायाधीश के पद पर नहीं हैं तो उन्हें (शीर्ष अदालत) जांच भी नहीं बैठानी चाहिए थी। किसी एक नतीजे पर पहुंच कर वे यह नहीं कह सकते कि वे इस मामले में आगे कार्रवाई नहीं करेंगे। (एजेंसी)

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