लोकसभा में पारित हुआ तेलंगाना विधेयक, कहीं जश्‍न तो कहीं विरोध
Advertisement

लोकसभा में पारित हुआ तेलंगाना विधेयक, कहीं जश्‍न तो कहीं विरोध

भारी शोरशराबे और टेलीविजन पर कार्यवाही का सीधा प्रसारण न होने के दौरान लोकसभा ने मंगलवार को आंध्र प्रदेश पुनर्गठन विधेयक ध्वनिमत से पारित कर दिया।

fallback

नई दिल्ली : भारी शोरशराबे और टेलीविजन पर कार्यवाही का सीधा प्रसारण न होने के दौरान लोकसभा ने मंगलवार को आंध्र प्रदेश पुनर्गठन विधेयक ध्वनिमत से पारित कर दिया। विधेयक पारित होने के बाद जहां तेलंगाना में खुशी की लहर दौड़ गई, वहीं राज्य के शेष हिस्से में विरोध शुरू हो गया। तेलंगाना देश का 29वां राज्य होगा और इस तरह तेलुगूभाषी लोगों के लिए अब दो राज्य हो जाएगा। इसमें हैदराबाद सहित 10 जिले होंगे। तेलंगाना के अलग हो जाने के बाद अब आंध्र प्रदेश में 13 जिले रह जाएंगे। 10 साल तक दोनों राज्यों की राजधानी हैदराबाद रह सकती है।
1.14 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला और 3.52 करोड़ की आबादी वाला तेलंगाना राज्य बनने के बाद आबादी और क्षेत्रफल के लिहाज से देश का 12वां सबसे बड़ा राज्य होगा। लोकसभा में विधेयक पर मत विभाजन के दौरान तेलंगाना का विरोध कर रहे आंध्र प्रदेश के सांसदों और कुछ विपक्षी पार्टियों ने अपना विरोध जताया। इसके बावजूद सदन में आंध्र प्रदेश पुनर्गठन विधेयक ध्वनिमत से पारित हो गया।
केंद्रीय गृह मंत्री सुशीलकुमार शिंदे द्वारा पेश किए गए विधेयक को पारित कराने में कुल 90 मिनट का समय लगा। मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के सदस्य और कांग्रेस के एक कैबिनेट मंत्री डी. पुरंदेश्वरी सहित विधेयक के विरोधी सदस्य लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार के आसन के नजदीक पहुंच गए और आंध्र प्रदेश के विभाजन के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। लेकिन अध्यक्ष ने इसकी अनदेखी कर दी।
राज्य के बंटवारे के विरोधियों ने विधेयक में उठाए जा रहे संशोधन प्रस्ताव को नजरअंदाज कर दिया और अंतत: निचले सदन से विधेयक पारित हो गया। विधेयक पारित होने की घोषणा होने के साथ ही जनता दल-युनाइटेड और डीएमके के सदस्यों को सदन से बाहर जाते देखा गया।
अत्यंत खिन्न नजरों से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी कार्यवाही को देखती रही। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह उस समय सदन में मौजूद नहीं थे। सदन में उत्तेजना का आलम यह था कि जिस समय शिंदे सदन में विधेयक पढ़ रहे थे उस समय तेलंगाना विरोधी सांसदों से बचाने के प्रयास के तहत आंध्र प्रदेश के कई कांग्रेसी सांसद उन्हें घेरे खड़े थे।
यह विधेयक अप्रत्याशित हंगामे और घटनाओं के बीच 13 फरवरी को लोकसभा में पेश किया गया। एक सदस्य ने मिर्ची स्प्रे किया और सदन में तोड़फोड़ भी की गई। इस घटना के बाद सीमांध्र के कुल 16 सांसदों को 20 फरवरी तक के लिए निलंबित कर दिया गया।
बहस में हिस्सा लेते हुए विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा कि उनकी पार्टी तेलंगाना का समर्थन करती है, लेकिन उस तरीके का नहीं जो अपनाया जा रहा है। उन्होंने कहा, "मैं और मेरी पार्टी विधेयक का समर्थन करती है। तेलंगाना का गठन होना चाहिए..हमें अपनी विश्वसनीयता साबित करनी चाहिए और यह देखना चाहिए कि तेलंगाना के युवा वर्ग की इच्छा पूरी हो रही है।"
कांग्रेस पर इस मुद्दे को विकृत करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने उल्लेख किया कि भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के कार्यकाल में तीन राज्यों का गठन किया गया था, लेकिन न तो सदन में व्यवधान पैदा हुआ और न ही किसी क्षेत्र में कुछ हुआ।
उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने मई 2004 में ही तेलंगाना के गठन का वादा किया था, लेकिन 15वीं लोकसभा के अंत में यह काम किया जा रहा है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री एस. जयपाल रेड्डी ने तेलंगाना के पक्ष में दलील पेश करते हुए कहा कि पृथक राज्य की मांग पिछले 60 वर्षों से की जा रही थी।
अब विधेयक राज्यसभा में रखा जाएगा। विधेयक पारित किए जाने की कई राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रिया हुई। वाईएसआर कांग्रेस के अध्यक्ष वाईएसआर जगनमोहन रेड्डी ने इसे देश के इतिहास का काला दिन करार दिया और बुधवार को आंध्र प्रदेश बंद रखने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा, "यह देश के इतिहास का काला दिन है। हम कल (बुधवार) आंध्र प्रदेश बंद रखने का आह्वान करते हैं।" उधर, विधेयक के पारित होने के बाद तेलंगाना में खुशी की लहर फैल गई। राजधानी हैदराबाद और क्षेत्र के अन्य नौ जिलों में तेलंगाना समर्थकों ने आतिशबाजी की और मिठाइयां बांटीं।
कांग्रेस, तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और अन्य राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं के अलावा गैर राजनीतिक संगठनों ने भी अपने-अपने कार्यालयों में उत्सव मनाया। टीआरएस सांसद के. केशव राव ने कहा, "मुझे इतनी खुशी जिंदगी में कभी नहीं हुई थी।" उन्होंने विधेयक पारित होने को तेलंगाना के शहीदों को समर्पित किया।
अपने पार्टी मुख्यालय तेलंगाना भवन में टीआरएस कार्यकर्ता नाचते गाते और पटाखे चलाते देखे गए। 1969 में तेलंगाना आंदोलन का केंद्र रहे उस्मानिया विश्वविद्यालय में भी उत्सव के जैसा माहौल था। (एजेंसी)

Trending news