संघ प्रमुख के भाषण के सीधा प्रसारण पर विपक्ष के निशाने पर सरकार

विजयादशमी के अवसर पर शुक्रवार को नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत के संबोधन का दूरदर्शन द्वारा सीधा प्रसारण किए जाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया और विपक्षी दलों ने दूरदर्शन का ‘दुरूपयोग’ करने के लिए सरकार की कड़ी आलोचना की।

नई दिल्ली : विजयादशमी के अवसर पर शुक्रवार को नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत के संबोधन का दूरदर्शन द्वारा सीधा प्रसारण किए जाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया और विपक्षी दलों ने दूरदर्शन का ‘दुरूपयोग’ करने के लिए सरकार की कड़ी आलोचना की।

कांग्रेस प्रवक्ता संदीप दीक्षित ने करीब घंटे भर के इस प्रसारण को एक ‘खतरनाक परंपरा’ बताते हुए कहा कि आरएसएस एक विवादास्पद संगठन है। उन्होंने कहा, ‘यह एक खतरनाक परंपरा है। यह कोई ऐसा संगठन नहीं है जो पूरी तरह से निष्पक्ष हो। यह एक विवादास्पद संगठन है।’ उन्होंने कहा कि सरकार का यह एक राजनीतिक फैसला है।

उनके पार्टी सहयोगी अभिषेक मनु सिंघवी ने आशंका जताई कि अब से देश सरकारी मीडिया के जरिये ‘नागपुर से, नागपुर के लिए, नागपुर द्वारा’ शासित होगा। सिंघवी ने इस घटना को अत्यधिक दुर्भाग्यपूर्ण, सरकारी उदारता और मशीनरी का खुलेआम दुरूपयोग बताया। उन्होंने कहा, ‘यह पूरी तरह से अद्भुत, चौंकानेवाला, अविश्वसनीय और अभूतपूर्व है।’

कांग्रेस के एक अन्य नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि हमारी राष्ट्रीय आकांक्षाओं के मामले में हम आरएसएस के रिकार्ड को संदेह से परे नहीं मानते। माकपा ने कहा, ‘आरएसएस इस अवसर का इस्तेमाल अपनी हिन्दुत्व की विचारधारा का प्रसार करने के लिए करती है। राष्ट्रीय सार्वजनिक प्रसारक के आरएसएस जैसे संगठन के प्रमुख के भाषण को सीधा प्रसारित करने का कोई मतलब नहीं था।’ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने भी भागवत के भाषण को सीधा प्रसारित किये जाने की निंदा की और कहा कि यह सरकारी प्रसारक का दुरूपयोग है।

भाकपा के महासचिव डी राजा ने कहा कि सरकार और खासकर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को दूरदर्शन को आरएसएस का प्रवक्ता बनने की इजाजत देने के लिए जनता को स्पष्टीकरण देना चाहिए। जदयू ने भी संघ प्रमुख के भाषण को सीधा प्रसारित किये जाने की आलोचना की और इसे सरकारी तंत्र का दुरूपयोग बताया।

इतिहासकार एवं टिप्पणीकार रामचन्द्र गुहा ने कहा कि इस ‘नग्न सरकारी बहुसंख्यकवाद’ का विरोध होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह (सीधा प्रसारण) सरकारी मशीनरी का खतरनाक दुरूपयोग है। आरएसएस एक संप्रदायवादी हिन्दू इकाई है। अगली बार मस्जिद के इमाम और चर्च के पादरी कह सकते हैं कि दूरदर्शन उनके संबोधनों को सीधा प्रसारित करे।

भाजपा की प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी ने कहा कि भागवत जो कहते हैं उसमें जनता की दिलचस्पी रहती है क्योंकि उनका वक्तव्य समाचार योग्य होता है। लेखी ने भागवत के भाषण का सीधा प्रसारण करने के प्रसार भारती के फैसले का भी बचाव किया और कहा कि यह एक स्वतंत्र संगठन है और उसे अपनी खबर चुनने का पूरा अधिकार है।

लेखी ने कांग्रेस और वामदलों की आपत्तियों के लिए उनकी आलोचना की और कहा कि अप्रसांगिक हो जाने के बाद वे आपत्ति उठाने वाले कौन होते हैं। जनता ने उन्हें खारिज कर दिया है और उन्हें ऐसी स्थिति में पहुंचा दिया है कि वे विपक्ष के नेता पद के लिए भी दावा नहीं कर सकते। गैर मुद्दों को उठाकर वे प्रासंगिकता हासिल करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और भाकपा ने पोप के संदेश के प्रसारण पर तो कभी कोई आपत्ति नहीं उठायी थी जब वे सत्ता में थे।

भागवत के भाषण के प्रसारण का बचाव करते हुए भाजपा की शाइना एन सी ने कहा कि आरएसएस एकमात्र राष्ट्रवादी संगठन है जो भारत सबसे पहले (इंडिया फर्स्ट) में विश्वास करता है और साथ ही देश को व्यक्तिगत हित से ऊपर मानता है। 

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