प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दागी नेताओं के खिलाफ मुकदमों के तेज निपटारे को लेकर दिया निर्देश
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दागी नेताओं के खिलाफ मुकदमों के तेज निपटारे को लेकर दिया निर्देश

नेताओं के खिलाफ दर्ज आपराधिक मुकदमों पर फैसले में होने वाली देरी पर चिंता जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद से कहा कि वह एक ऐसा खाका तैयार करें जिससे यह तय हो कि इन मुकदमों की सुनवाई और उन पर फैसले की प्रक्रिया को किस तरह तेज बनाया जाए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दागी नेताओं के खिलाफ मुकदमों के तेज निपटारे को लेकर दिया निर्देश

ज़ी मीडिया ब्‍यूरो

नई दिल्ली : नेताओं के खिलाफ दर्ज आपराधिक मुकदमों पर फैसले में होने वाली देरी पर चिंता जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद से कहा कि वह एक ऐसा खाका तैयार करें जिससे यह तय हो कि इन मुकदमों की सुनवाई और उन पर फैसले की प्रक्रिया को किस तरह तेज बनाया जाए।

समझा जाता है कि मोदी ने केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह और प्रसाद से कहा कि वे मिलकर काम करें और आने वाले दिनों में इस बाबत खाका तैयार करें। स्वच्छ राजनीति की दिशा में कदम बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को गृह मंत्री राजनाथ सिंह और कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद से राजनीतिज्ञों के खिलाफ अपराधिक और अन्य अदालतों में चल रहे मामलों की सुनवाई एक साल में करने के लिए एक तंत्र बनाने पर काम करने को कहा।

मोदी ने लोकसभा चुनाव प्रक्रिया के दौरान अपने चुनावी भाषणों और साक्षात्कारों में जोर देकर कहा था कि नेताओं के खिलाफ दर्ज आपराधिक मुकदमों की सुनवाई तेज किए जाने की जरूरत है। कानून मंत्रालय पहले ही इससे जुड़े खाके पर काम करना शुरू कर चुका है और एक विकल्प यह है कि मार्च महीने में उच्चतम न्यायालय को दी गई विधि आयोग की सिफारिशों पर अमल किया जाए।

विधि आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि मौजूदा सांसदों या विधायकों के खिलाफ यदि आरोप तय किए जा चुके हों तो उनके मामलों के ट्रायल में तेजी लाकर मुकदमे का निपटारा एक साल के भीतर करना चाहिए। रिपोर्ट के मुताबिक, यदि एक साल के भीतर ट्रायल पूरा न हो तो सांसद या विधायक को एक साल की अवधि पूरी होने पर अयोग्य घोषित कर दिया जाए या सांसद या विधायक का सदन में वोट करने का अधिकार और वेतन-भत्ते एक साल की अवधि पूरी होने पर निलंबित कर दिए जाएं। मोदी ने अपने साक्षात्कारों में एक और विकल्प सुझाया था कि उच्चतम न्यायालय से अनुरोध किया जाए कि ऐसे मामलों का निपटारा त्वरित आधार पर किया जाए।

हालांकि, नागरिक समाज का कहना है कि सरकार सिर्फ नेताओं के खिलाफ मुकदमों पर ध्यान न देकर यह भी सुनिश्चित करे कि बलात्कार और बच्चों के खिलाफ अपराध से जुड़े मुकदमों में भी जल्द से जल्द फैसला हो। चुनाव अभियान के दौरान मोदी ने सत्ता में आने पर भ्रष्टाचार को बिल्कुल बर्दाश्त न करने की नीति पर चलने का संकल्प जताया था। मीडिया को दिए एक साक्षात्कार में भी उन्होंने कहा था कि उच्चतम न्यायालय से ऐसे मामलों की शीघ्र सुनवाई करने के लिए अनुरोध किया जाएगा।

विधि आयोग ने मार्च में उच्चतम न्यायालय को जो सिफारिश की थी उसके पालन के लिए तथा एक विकल्प के तौर पर रूपरेखा बनाने के लिए कानून मंत्रालय पहले ही काम शुरू कर चुका है। विधि आयोग ने कहा था कि वर्तमान सांसद या विधायक पर आरोप तय करने के लिए सुनवाई एक साल की अवधि में पूरी कर ली जानी चाहिए। रिपोर्ट में कहा गया था कि अगर सुनवाई एक साल में पूरी नहीं हो पाती तब सांसद को एक साल की अवधि पूरी होने पर अयोग्य घोषित किया जाए या सदन के सदस्य के तौर पर मतदान करने का अधिकार एक साल की अवधि पूरी होने पर निलंबित कर दिया जाए। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉम्र्स के अनुसंधान के अनुसार, वर्तमान संसद में 186 सदस्यों के खिलाफ आपराधिक आरोप हैं।

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