मुम्बई : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परमाणु ऊर्जा प्रतिष्ठानों का आह्वान किया कि वे परमाणु विज्ञान के क्षेत्र में भारत की क्षमताओं का मानवीय चेहरा विश्व के समक्ष पेश करने के साथ ही वर्षों तक अंतरराष्ट्रीय प्रौद्योगिकी से वंचित रहने के बावजूद हासिल अपनी सफलता गिनाये।
मोदी ने परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) से कहा कि वह अपना अनुसंधान बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास करे और परमाणु विज्ञान के इस्तेमाल को राष्ट्रीय स्तर पर चिकित्सा, अपशिष्ट प्रबंधन, जलशोधन, कृषि एवं खाद्य संरक्षण जैसे क्षेत्रों में विस्तारित करे।
एक आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि प्रधानमंत्री ने यह विचार मुम्बई स्थित डीएई के दौरे के दौरान व्यक्त किये जहां उन्हें परमाणु ऊर्जा विभाग के सचिव आर के सिन्हा और अन्य शीर्ष अधिकारियों ने जानकारी दी। वहीं भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र में वैज्ञानिकों ने मोदी को भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के बारे में अवगत कराया।
प्रधानमंत्री को डीएई के व्यापक अनुसंधान और विकास तथा शिक्षा कार्यक्रमों एवं चिकित्सा, विशेष तौर पर कैंसर के इलाज, खाद्य सुरक्षा, अपशिष्ट प्रबंधन और जनशोधन जैसे क्षेत्रों में उसके योगदान के बारे में बताया गया।
मोदी ने अपनी धारणा दोहरायी कि ऊर्जा सुरक्षा भारत के तेज और सतत दीर्घकालिक विकास का महत्वपूर्ण चालक है जो कि तेजी से स्वच्छ और विश्वसनीय स्रोतों पर आधारित है। उन्होंने कहा कि मांग के स्तर को देखते हुए भारत की उर्जा रणनीति में परमाणु ऊर्जा की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। उन्होंने डीएई को भरोसा दिया कि वह उसके महत्वाकांक्षी विस्तार कार्यक्रम में पूरा सहयोग करेंगे और उम्मीद जतायी कि वह क्षमता में लक्षित कीमत के भीतर वर्तमान में 5780 मेगावाट से 2023.2024 तक तीन गुणा बढ़ोतरी का लक्ष्य पूरा कर लेगा।
मोदी ने यह सुनिश्चित करने के महत्व को रेखांकित किया कि परमाणु ऊर्जा वाणिज्यिक तौर पर व्यावहारिक और लंबे समय में अन्य स्वच्छ उर्जा स्रोतों से प्रतिस्पर्धी हो। उन्होंने इसके साथ ही डीएई से कहा कि वह अपने दीर्घकालिक योजनाओं तथा अंतरराष्ट्रीय रूझानों के अनुरूप प्रौद्योगिकी का उन्नयन जारी रखे। उन्होंने कहा कि डीएई को देश में पर्याप्त मात्रा में कुशल मानव संसाधन की उपलब्धता सुनिश्चित करने की भी योजन बनानी चाहिए।
उन्होंने जोर देकर कहा कि परमाणु सुरक्षा और सुरक्षा उनके लिए शीर्ष प्राथमिकता है। प्रधानमंत्री ने डीएई से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि देश के मानक और कार्यप्रणाली विश्व में सबसे उन्नत हो। उन्होंने इसके साथ ही डीएई से यह भी कहा कि वह परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं का क्रियान्वयन करते समय स्थानीय समुदायों पर विशेष ध्यान दे।
प्रधानमंत्री के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल भी थे।