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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के तीन हत्यारों की मृत्युदंड की सजा उम्रकैद में बदल दी है। न्यायालय ने कहा कि उनकी दया याचिका पर फैसले के 11 सालों से लंबित रहने का उन पर अमानवीय असर पड़ा है। सर्वोच्च न्यायालय की प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी.सतशिवम की पीठ ने कहा कि देरी न सिर्फ बहुत अधिक बल्कि यह अनुचित और अस्पष्ट भी है। न्यायालय ने कहा कि उम्रकैद का मतलब यह है कि उन्हें पूरी जिदगी जेल में बिताना होगा।
राजीव गांधी की हत्या 1991 में हुई थी। उनके हत्यारों को टाडा अदालत ने जनवरी 1998 को दोषी साबित किया था और मृत्युदंड की सजा सुनाई थी, जिस पर 11 मई 1999 को सर्वोच्च न्यायालय ने भी अपनी मुहर लगाई थी।
तीन हत्यारों वी. श्रीहरण ऊर्फ मुरुगन, ए.जी. पेरारिवलन ऊर्फ अरिवु और टी.सुथेंद्रराजा ऊर्फ संथन ने उनकी दया याचिका पर फैसले के लगभग 11 सालों से लंबित पड़े रहने की वजह से उनके मृत्युदंड की सजा को उम्रकैद में तब्दील करने की मांग की थी। न्यायालय ने इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से उपस्थित हुए महान्यायवादी जी.ई.वाहनवती की दलील को खारिज कर दिया।
न्यायालय ने कहा कि राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका पर फैसला करने को लेकर कोई अवधि तय नहीं होती, लेकिन यह सरकार का कर्तव्य है कि वह इस पर जल्द फैसला करे। (एजेंसी)