नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या विवाद पर 1994 में कथित तौर पर एक अपमानजनक बयान देने को लेकर विहिप नेता गिरिराज किशोर के खिलाफ लगे अवमानना के आरोप को वापस ले लिया। इस मामले में फैसला सुरक्षित रखे जाने के बाद उनका निधन हो गया था।
प्रधान न्यायाधीश आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय एक खंड पीठ ने विहिप नेता के अपमानजनक बयान को प्रकाशित करने वाले अखबार खबरदार इंडिया के संपादक और संवाददाता के खिलाफ भी अवमानना कार्यवाही वापस ले ली। कार्यवाही में पेशी के लिए गिरिराज को 26 मार्च को अदालत में लाया गया था जिनका 13 जुलाई को निधन हो गया।
न्यायालय ने इस बात का जिक्र किया कि उसके समक्ष जब विहिप नेता को पेश किया गया था उस वक्त वह गंभीर शारीरिक एवं मानसिक अस्वस्थता के चलते जवाब देने में सक्षम नहीं थे। शीर्ष न्यायालय वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिन्होंने गिरिराज के खिलाफ अवमानना कार्यवाही की मांग की थी।
पीठ ने कहा कि वह राजीव धवन द्वारा जिक्र किए गए विषय की गंभीरता को समझती है। हम इस बात से भी अनजान नहीं हैं कि न्यायालय गिरिराज किशोर द्वारा दाखिल की गई शुरूआती जवाब से प्रथम दृष्टया संतुष्ट नहीं थी और 6 मई 1994 को अवमानना कार्यवाही शुरू करने का आदेश दिया गया।
पीठ ने कहा कि लेकिन 6 मई 1994 को आदेश जारी किए जाने के बावजूद उनपर लगे आरोपों का नोटिस अब तक तामील नहीं की गई। इस बात के मद्देनजर और इतना वक्त गुजरने के बाद हमें नहीं लगता कि यह एक ऐसा उपयुक्त मामला है जहां हमें मामले को आगे बढ़ना चाहिए।