शैक्षणिक योग्यता विवाद: स्‍मृति ईरानी ने चुप्‍पी तोड़ी, कहा-मुझे मेरे काम के आधार पर परखा जाए

मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने अपनी शैक्षणिक योग्यता को लेकर छिड़े विवाद के बीच गुरुवार को आखिरकार चुप्‍पी तोड़ी।

ज़ी मीडिया ब्‍यूरो/बिमल कुमार
नई दिल्‍ली : मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने अपनी शैक्षणिक योग्यता को लेकर छिड़े विवाद के बीच गुरुवार को आखिरकार चुप्‍पी तोड़ी।
स्‍मृति ने आज पत्रकारों से बातचीत में कहा कि मुझे मेरे काम के आधार पर परखा जाए। उन्‍होंने कहा कि मुझे मेरे उद्देश्‍य से भटकाने के लिए यह विवाद (शैक्षणिक योग्यता विवाद) पैदा किया गया। मैंने अपन हर काम को पूरी ईमानदारी और निष्‍ठा के साथ निभाया है। केंद्रीय मंत्री ने कहा, `मैं आप सबसे निवेदन करती हूं कि मुझे मेरे काम के आधार पर आंका जाए`। स्मृति ने कहा कि कार्यभार सौंपने के लिए मेरे संगठन ने मुझे मेरी क्षमता को देखकर चुना है। मेरे बारे में निर्णय मेरा काम देख कर कीजिए। उन्हें सौंपे गए काम से उनका ध्यान हटाने के लिए विषय से अलग हालात पैदा किए जा रहे हैं। हालांकि, उन्‍होंने चुनाव के दौरान दिए गए हलफनामों में शैक्षणिक योग्‍यता में अंतर को लेकर पूछे गए सवालों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
स्मृति ने मानव संसाधन विकास मंत्री के रूप में अपनी योग्यता पर कांग्रेस द्वारा सवाल उठाए जाने के दो दिन बाद प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस ने स्मृति के बारे में कहा था कि मानव संसाधन विकास मंत्री ‘स्नातक भी नहीं हैं।’ टेलीविजन के छोटे पर्दे पर अभिनय की छाप छोड़ने के बाद राजनीति में आईं 38 वर्षीय स्मृति ईरानी ने संवाददाताओं से कहा कि मुझे सौंपे गए काम से मेरा ध्यान हटाने के लिए विषय से इतर हालात पैदा किए गए हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मेरे संगठन ने जिम्मेदारी पूरी करने की मेरी क्षमता को देखते हुए मेरा मूल्यांकन किया है। मैं आप सभी से मेरे काम के द्वारा मेरा मूल्यांकन करने का अनुरोध करती हूं।
गौरतलब है कि कांग्रेस ने उन्हें मानव संसाधन विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी दिए जाने पर सवाल उठाते हुए कहा था कि यह पद एक गैर स्नातक उत्तीर्ण व्यक्ति को दिया गया है और यह भी कहा था कि उन्होंने चुनावी हलफनामे में अपनी डिग्री को लेकर झूठी जानकारी दी है।
बीते दो दिनों से स्मृति ईरानी की शैक्षणिक योग्यता को लेकर विवाद खासा बढ़ गया है। इस तरह की बात सामने आई है कि उन्होंने 2004 और 2014 के लोकसभा चुनावों में दाखिल घोषणा पत्रों में विरोधाभासी जानकारी दी थी। कांग्रेस ने इसी बात को आधार बनाते हुए स्मृति पर अपना हमला और तेज कर दिया वहीं भाजपा ने पलटवार करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की शैक्षणिक योग्यता पर सवाल कर दिए।

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