आय से अधिक संपति मामला: जयललिता को तत्‍काल राहत नहीं, बेल अर्जी पर सुनवाई कल

कर्नाटक उच्च न्यायालय जेल में बंद तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की आय से ज्ञात स्रोत से अधिक संपत्ति के मामले में जमानत याचिका और दोषी ठहराने एवं जेल की सजा को स्थगित रखने के आवेदन पर बुधवार को सुनवाई करेगा।

आय से अधिक संपति मामला: जयललिता को तत्‍काल राहत नहीं, बेल अर्जी पर सुनवाई कल

बेंगलुरु : कर्नाटक उच्च न्यायालय जेल में बंद तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की आय से ज्ञात स्रोत से अधिक संपत्ति के मामले में जमानत याचिका और दोषी ठहराने एवं जेल की सजा को स्थगित रखने के आवेदन पर बुधवार को सुनवाई करेगा।

अदालत की अवकाश पीठ ने आज सुबह जमानत याचिका को छह अक्तूबर के लिये स्थगित कर दिया था। इसके बाद राम जेठमलानी के नेतृत्व में जयललिता के वकीलों ने मामले में त्वरित सुनवाई के लिए अदालत के रजिस्ट्रार से संपर्क किया। उनके वकीलों ने बताया कि मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीएच वघेला ने याचिका को अनुमति दे दी है और अब अदालत पूर्व मुख्यमंत्री की याचिका पर कल सुनवाई करेगी।

यह मामला जब आज सुबह अवकाशकालीन पीठ के समक्ष आया तो जयललिता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी ने कहा कि अपराध दंड संहिता की धारा 389 के तहत लंबित अपील पर सुनवाई होने तक उनके मुवक्किल की सजा को निलंबित किया जाए और उन्हें जमानत पर रिहा किया जाए। धारा 389 के अनुसार यदि दोषी व्यक्ति की कोई अपील लंबित है तो अपीली अदालत सजा निलंबित करने का आदेश दे सकती है। इसके अतरिक्त यदि व्यक्ति जेल में है तो उसे जमानत या निजी मुचलके पर रिहा किया जा सकता है। आय से अधिक संपत्ति के मामले में विशेष अदालत में विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) रहे जी. भवानी सिंह ने न्यायाधीश को बताया कि उन्हें उच्च न्यायालय में आपराधिक अपील के लिए विशेष लोक अभियोजक के रूप में नियुक्त किए जाने के संबंध में अब तक कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है।

उन्होंने कहा कि मैंने एक दैनिक में मामले में एसपीपी के रूप में अपनी नियुक्ति के बारे में पढ़ा है, लेकिन मुझे एसपीपी के रूप में नियुक्त किए जाने के बारे में कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है। सिंह ने कहा कि क्योंकि मुझे कोई सूचना नहीं मिली है, मैं मामले का प्रतिनिधित्व करने के लिए अधिकृत नहीं हूं। उन्होंने और समय मांगा, जिस पर अवकाशकालीन पीठ की न्यायाधीश न्यायमूर्ति रत्नकला ने मामले की सुनवाई 6 अक्तूबर तक के लिये स्थगित कर दी।

अपनी याचिकाओं में तत्काल जमानत मांगते हुए और अपनी सजा को चुनौती देते हुए जयललिता ने कहा है कि उन पर लगे संपत्ति अर्जित करने के आरोप झूठे हैं और उन्होंने कानून सम्मत साधनों से संपत्ति हासिल की थी। जयललिता ने यह भी तर्क दिया है कि निचली अदालत ने कई फैसलों की अनदेखी की है और बाध्यकारी प्रकृति के कई आयकर आदेशों और आयकर अपील प्राधिकरण के फैसलों पर विचार नहीं किया, जिसने उनके द्वारा बताए गए आय और व्यय के स्तर को स्वीकार कर लिया था।

पूर्व मुख्यमंत्री की सहयोगी शशिकला, उनके रिश्तेदार वीएन सुधाकरन, पूर्व मुख्यमंत्री के परित्यक्त पुत्र, और इलावरासी ने भी उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर जमानत मांगी है और अपनी दोषसिद्धि को चुनौती दी है। उनकी याचिकाओं पर भी सुनवाई छह अक्तूबर तक के लिए स्थगित कर दी गई।

विशेष न्यायाधीश जॉन माइकल डी कुन्हा ने 18 साल पुराने 66.65 करोड़ रूपये के भ्रष्टाचार के मामले में शनिवार को फैसला देते हुए जयललिता को दोषी ठहराया था और चार साल कैद की सजा सुनाई थी। अदालत ने उन पर 100 करोड़ रूपये का जुर्माना भी लगाया था। जयललिता ने अपील में अपनी दोषसिद्धि और सजा को निलंबित करने का आग्रह किया और 100 करोड़ रुपये का जुर्माना देने से भी इनकार कर दिया। मामला अवकाशकालीन पीठ के समक्ष आया क्योंकि हाईकोर्ट में 29 सितंबर से छह अक्तूबर तक दशहरा पर्व की छुट्टियां हैं।

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