रणनीतिक वार्ता के लिए नई दिल्ली पहुंचे अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी
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रणनीतिक वार्ता के लिए नई दिल्ली पहुंचे अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी

अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी पांचवें भारत-अमेरिका रणनीतिक वार्ता के लिए बुधवार को नई दिल्ली पहुंचे। भारत गुरुवार को होने वाली वार्ता के दौरान अमेरिका के एनएसए द्वारा जासूसी और आतंकवाद के मुद्दे को उठाएगा, हालांकि दोनों देश रक्षा और ऊर्जा जैसे महत्वपूर्ण क्षत्रों में ‘परिवर्तनकारी पहल’ पर विचार करेंगे।

नई दिल्ली : अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी पांचवें भारत-अमेरिका रणनीतिक वार्ता के लिए बुधवार को नई दिल्ली पहुंचे। भारत गुरुवार को होने वाली वार्ता के दौरान अमेरिका के एनएसए द्वारा जासूसी और आतंकवाद के मुद्दे को उठाएगा, हालांकि दोनों देश रक्षा और ऊर्जा जैसे महत्वपूर्ण क्षत्रों में ‘परिवर्तनकारी पहल’ पर विचार करेंगे।

भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ केरी वार्ता की सह-अध्यक्षता करेंगे। इसमें गृह और रक्षा सहित अन्य मंत्रालयों के भी वरिष्ठ प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। इसमें केन्द्रीय वाणिज्य राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) निर्मला सीतारमण भी भाग लेंगी। वार्ता में दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को मजबूत बनाने के तरीकों पर भी विचार किया जाएगा।

भारत-अमेरिकी संबंधों के ‘स्थिर और परिपक्व विकास’ के स्तर पर होने की बात कहते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि संभावना है कि दोनों मंत्री द्विपक्षीय संबंधों को और आगे बढ़ाने के लिए नए मोचरें और पहलों का तलाश करेंगे।

सितंबर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका यात्रा का हवाला देते हुए प्रवक्ता ने कहा, ‘इस अवसर का उपयोग परिवर्तनकारी कदमों का पता लगाने के लिए किया जाएगा जो भारत-अमेरिका संबंधों को अगले स्तर पर ले जा सकता है। इस संबंध में केरी भी प्रधानमंत्री से मिलेंगे।’ सितंबर में अमेरिका दौरे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा से भी भेंट करेंगे।

उन्होंने यह भी कहा कि सुषमा और केरी की बैठक में बातचीत के मुख्य बिन्दु सुरक्षा, ऊर्जा, व्यापार और निवेश, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, मानव संसाधन विकास और क्षेत्रीय मुद्दे हो सकते हैं। यह पूछने पर कि क्या भाजपा सहित अन्य की अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनएसए) द्वारा जासूसी कराने के मामले को भारत उठाएगा, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि इस मुद्दे को लेकर देश में काफी अशांति थी और नेता जनता की चिंताओं की झलक देते हैं।

साइबर-सुरक्षा पर चर्चा के दौरान यह मुद्दा उठने की आशा है। एनएसए द्वारा 2010 में जिन राजनीतिक दलों को निशाना बनाया गया उसमें भाजपा के शामिल होने के संबंध में इस महीने की शुरूआत में खबरे आने के बाद विदेश मंत्रालय ने शीर्ष अमेरिकी अधिकारियों को समन किया और बताया कि यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और अमेरिका से आश्वासन मांगा कि ऐसा फिर कभी नहीं होगा।

यह पूछने पर कि क्या भारत जमात-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद की गतिविधियों के मुद्दे को उठाएगा, प्रवक्ता ने कहा कि ऐसा कोई भी मुद्दा जो भारत की सुरक्षा से जुड़ा है और जहां सरकार को लगता है कि अमेरिका मदद कर सकता है, उसे उठाया जाएगा। आंतरिक सुरक्षा भी इसी का हिस्सा है।

रक्षा के क्षेत्र में तकनीकी साझा करने की नीतियों को सरल बनाकर और संबंधों में रणनीतिक मूल्यों को बढ़ाने के लिए रक्षा प्रणाली के सह-विकास तथा सह-उत्पादन की संभावनाओं को खंगालकर दोनों पक्षों के बीच अपने संबंधों को बेहतर बनाने पर चर्चा हो रही है।

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