नर सूअर और मादा चिंपैंजी के मिलन से जन्मा मानव!
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नर सूअर और मादा चिंपैंजी के मिलन से जन्मा मानव!

एक ताजे अध्ययन में दावा किया गया है कि मनुष्य का जन्म नर सूअर और मादा चिंपैंजी के मिलन से हुआ। इस बात का दावा जॉर्जिया विश्वविद्यालय के जेनेसिस्ट यूजिन मैकार्थी ने अपने शोध में किया है। मैकार्थी पशुओं के संकर नस्ल पर विशेषज्ञता रखते हैं।

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ज़ी मीडिया ब्यूरो
नई दिल्ली : एक ताजे अध्ययन में दावा किया गया है कि मनुष्य का जन्म नर सूअर और मादा चिंपैंजी के मिलन से हुआ। इस बात का दावा जॉर्जिया विश्वविद्यालय के जेनेसिस्ट यूजिन मैकार्थी ने अपने शोध में किया है। मैकार्थी पशुओं के संकर नस्ल पर विशेषज्ञता रखते हैं।
मैकार्थी ने अपने शोध में कहा है कि चिंपैंजी और मनुष्य में असमानताओं के साथ-साथ ढेर सारी समानताएं भी पाई जाती हैं। मैकार्थी के मुताबिक मनुष्य में चिंपैंजी और सूअर दोनों के लक्षण पाए जाते हैं। बंदरों और मनुष्य के बीच जो मुख्य अंतर है, वह सूअर के साथ वर्ण संकर की वजह से है।
चिंपैंजी और मनुष्य के जीन में बहुत सारी समानताएं होने के बावजूद दोनों की शारीरिक संरचना में मूलभूत अंतर पाया जाता है। इन अंतरों के कारण ही चिंपैंजी और मनुष्य अलग-अलग हैं और चिंपैंजी एवं मनुष्य के बीच अंतर की भरपाई सूअर के जीन द्वारा होती है।
मैकार्थी के मुताबिक रोंआहीन त्वचा, उसके नीचे सबक्यूटेनियस वसा का आवरण, हल्के रंग की आंखें, उभरी हुईं नाक, घनी भौंहें आदि सारी शारीरिक विशेषताएं सूअर से मिलती-जुलती हैं। मनुष्य की जो शारीरिक संरचनाएं चिंपैंजी से मेल नहीं खातीं, वे संरचनाएं सूअर से मेल खाती हैं।
मैकार्थी का दावा है कि सूअर के चमड़े का कोष और हृदय दोनों मनुष्य से मेल खाते हैं और चिकित्सा क्षेत्र मंृ भी इस बात के पर्याप्त प्रमाण मिलते हैं।
मैकार्थी के अनुसार यह ‘संकरायन प्रक्रिया’ कई प्रजन्मों से चलती आ रही है। मैकार्थी का दावा है कि सूअर और चिंपैंजी के बीच ‘बैक-क्रासिंग’ भी चली और इसी प्रक्रिया में संततियों में जीन्स का जोड़-घटाव चलता रहा। कालांतर में यह नई प्रजाति जनन में सक्षम में हो गई और मानव जाति का उदय हुआ।

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