यान को मंगल कक्षा में भेजने को तैयार इसरो
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यान को मंगल कक्षा में भेजने को तैयार इसरो

भारत के अंतरिक्ष विज्ञानियों ने अपने महत्वाकांक्षी मंगल मिशन के एक महत्वपूर्ण चरण को पूरा करने की तैयारी कर ली है जिसके तहत इस यान को 24 सितंबर को मंगल की कक्षा में स्थापित किया जाएगा। विज्ञानियों को भरोसा है कि मिशन का यह चरण भी सफलतापूर्वक पूरा होगा।

यान को मंगल कक्षा में भेजने को तैयार इसरो

बेंगलूर : भारत के अंतरिक्ष विज्ञानियों ने अपने महत्वाकांक्षी मंगल मिशन के एक महत्वपूर्ण चरण को पूरा करने की तैयारी कर ली है जिसके तहत इस यान को 24 सितंबर को मंगल की कक्षा में स्थापित किया जाएगा। विज्ञानियों को भरोसा है कि मिशन का यह चरण भी सफलतापूर्वक पूरा होगा।

मंगल की यात्रा पर निकले इस अंतरिक्ष यान ने 300 दिन की अपनी यात्रा का 98 प्रतिशत हिस्सा पूरा कर लिया है। इसका एक महत्वपूर्ण चरण तब शुरू होगा जबकि वैज्ञानिक इसमें लगे तरल ईंधन वाले इंजन को फिर से दागेंगे। यह इंजिन लगभग 10 महीने से बंद (स्लीप मोड) है।

मंगल यान (एमओएम) किसी दूसरे ग्रह को भेजा गया भारत का पहला (अंतरग्रहीय) मिशन है। इसकी शुरुआत श्रीहरिकोटा, आंध्रप्रदेश में ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण याहन से पांच नवंबर 2013 को हुई थी।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा कि अब तक के प्रदर्शन को देखते हुए उसे इस मिशन की सफलता का पूरा भरोसा है। इस अंतरिक्ष यान को मंगल की कक्षा में भेजने के लिए कमांड कल से दिए जा रे हैं और इनके आज पूरा होने की संभावना है।

इसरो के वैज्ञानिक सचिव वी कोटेश्वर राव ने कहा,‘बाकी बची महत्वपूर्ण चीज मंगल कक्षा प्रवेश है और अगर आप देखेंगे कुछ मिशन मंगल से दूरी के बारे में अनुमानों में विफलता के चलते विफल रहे हैं और अगर आप इतिहास देखेंगे तो पायेंगे कि वे बहुत ही शुरुआती चरण में थे।’

राव ने कहा,‘हमें पूरा भरोसा है और प्रणाली के अब तक के प्रदर्शन को देखते हुए भरोसा नहीं करने की कोई वजह नहीं है। हमने 98 प्रतिशत दूरी पूरी कर ली है। बाकी 2 प्रतिशत दूरी भी जल्द ही पूरी हो जाएगी। हमें पूरा भरोसा है, हमारी टीमों को पूरा भरोसा है।’ अगर 450 करोड़ रुपए का मंगलयान मिशन सफल रहता है तो इसरो मंगल को मिशन भेजने वाली दुनिया की चौथी अंतरिक्ष एजेंसी होगी। अब तक कुल 51 मंगल मिशनों में से केवल 21 ही सफल रहे हैं।

इस मिशन के अंतिम महत्वपूर्ण पहल में अंतरिक्ष वैज्ञानिक इस यान की प्रणोदन प्रणाली को 24 मिनट के लिए सक्रिय करेंगे ताकि इसकी गति धीमी हो और यह मंगल की यात्रा में स्थापित हो जाए। यह काम 24 सितंबर को सुबह साढे सात बजे किया जाएगा और राव के अनुसार उस समय यान और पृथ्वी के बीच दूरी 22.4 करोड़ मिलोमीटर होगी।

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