मैच में 15 खिलाड़ियों को मौका देकर प्रतिभा पूल में इजाफा कर सकता है MCA: तेंदुलकर

महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने सुझाव दिया कि मुंबई क्रिकेट संघ (एमसीए) अंतर कालेज और अंतर स्कूल प्रतियोगिता को 15 खिलाड़ियों की प्रतियोगिता बनाकर अपने प्रतिभा पूल में इजाफा कर सकता है।

मुंबई : महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने सुझाव दिया कि मुंबई क्रिकेट संघ (एमसीए) अंतर कालेज और अंतर स्कूल प्रतियोगिता को 15 खिलाड़ियों की प्रतियोगिता बनाकर अपने प्रतिभा पूल में इजाफा कर सकता है।
तेंदुलकर ने कल यहां उन्हे सम्मानित करने के लिए एमसीए द्वारा आयोजित समारोह के दौरान कहा, मुंबई क्रिकेट विरोधियों से आगे कैसे रह सकता है। इस बारे में एक दिन मैं और मेरा भाई घर में बात कर रहे थे। मुझे लगता है कि एमसीए को सुझाव देने के लिए यह सर्वश्रेष्ठ मंच है। उन्होंने कहा, अंतर स्कूल और अंतर कालेज मैचों में हम 11 सदस्यीय टीमों की जगह 15 खिलाड़ियों को खिला सकते हैं। जब कोई लड़का इस उम्मीद के साथ प्रत्येक दिन घर से निकलता है कि वह खेलेगा और कुछ करेगा, तब अधिकतर समय उसे पता ही नहीं होता कि वह खेलेगा भी या नहीं। इस महान बल्लेबाज ने कहा कि कई बच्चे उतने प्रतिभावान नहीं होते लेकिन वह कुछ मैचों में खेलने और मौका दिए जाने के हकदार हैं। महान क्रिकेटर ने साथ ही कहा कि अन्य राज्य क्रिकेट संघ भी इस सलाह पर अमल कर सकते हैं।
तेंदुलकर ने कहा, जाइल्स शील्ड और हैरिस शील्ड नाकआउट टूर्नामेंट हैं। आपको नहीं पता कि आपको कितने मैच खेलने को मिलेंगे। मैं सोचता हूं कि कैसे प्रत्येक खिलाड़ी को कम से कम तीन मैच खेलने को मिले। यह जाइल्ड शील्ड में हो सकता है, हैरिस शील्ड में या फिर अंतर कालेज टूर्नामेंट में। खिलाड़ी जब तक कमाने नहीं लग जाता और अपने पैर में खड़ा नहीं होता तब तक एमसीए को इन क्रिकेटरों का समर्थन करना चाहिए। इस पूर्व भारतीय कप्तान ने कहा कि इससे खिलाड़ियों की भी परीक्षा होगी क्योंकि उन्हें विविध गेंदबाजी आक्रमण का सामना करने का मौका मिलेगा। तेंदुलकर का 14 वर्षीय बेटा अजरुन पिछले साल मुंबई की अंडर 14 टीम का हिस्सा था और उन्होंने कहा कि वह यह सुझाव अपने बेटे के कारण नहीं दे रहे।
उन्होंने कहा, मुझे यह भी पता है कि कहीं से यह सवाल उठ सकता है कि अर्जुन खेल रहा है इसलिए मैं यह सुझाव दे रहा हूं लेकिन ऐसा कुछ नहीं है। मेरे साथ कई क्रिकेटर खेले हैं जिन्हें अपने परिवार का पालन करना था और इसी तरह कई थे जिन्हें अपने परिवार का समर्थन हासिल नहीं था। कुछ ऐसे लोग भी थे जिन्होंने क्रिकेट खेलने के लिए घर छोड़ दिया लेकिन सफल नहीं हुए। लेकिन उन्होंने क्रिकेट के प्रति अपने जुनून के लिए घर छोड़ा और अपने जुनून को जिंदा रखा। (एजेंसी)

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