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ज़ी मीडिया ब्यूरो
नई दिल्ली : आईपीएल स्पाट फिक्सिंग और सट्टेबाजी मामले की जांच में अब एसआईटी का गठन संभव है। जानकारी के अनुसार, जस्टिस मुदगल एसआईटी की अध्यक्षता करने के लिए तैयार हो गए हैं। इस मामले की सुनवाई आज सुप्रीम कोर्ट में हुई और जस्टिस मुदगल से समिति की अध्यक्षता करने को लेकर राय पूछी थी। वहीं, जस्टिस मुदगल ने सुप्रीम कोर्ट आज अपना जवाब भेज दिया है। इस मामले की सुनवाई अब अगले हफ्ते होगी।
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को जस्टिस मुद्गल समिति से पूछा कि क्या वह आईपीएल स्पाट फिक्सिंग और सट्टेबाजी मामले में एन श्रीनिवासन और 12 अन्य के खिलाफ आगे जांच करने की इच्छुक है। न्यायमूर्ति एके पटनायक की पीठ ने कहा कि समिति यदि उन 13 व्यक्तियों के खिलाफ जांच के लिये राजी हो जाती है जिनके नाम इस मामले पर शुरूआती जांच के बाद दिये गए सीलबंद लिफाफे में दर्ज हैं तो उसे जांच एजेंसियों से सहायता मुहैया कराई जाएगी।
बोर्ड ने न्यायालय को यह भी बताया कि उसने मामले की आगे जांच के लिये तीन सदस्यीय पेनल बनाने का फैसला किया है लेकिन पीठ ने कहा कि वह सभी पक्षों को सुनने और जस्टिस मुद्गल समिति का जवाब मिलने के बाद ही फैसला देगी। बोर्ड की कार्यसमिति ने 20 अप्रैल को हुई आपात बैठक में तय किया गया कि भारत के पूर्व हरफनमौला रवि शास्त्री, कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जेएन पटेल और सीबीआई के पूर्व निदेशक आरके राघवन जांच समिति के सदस्य होंगे।
पीठ ने श्रीनिवासन और बीसीसीआई को जस्टिस मुद्गल समिति से श्रीनिवासन, एम एस धेनी और आईपीएल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुंदर रमन की बातचीत का कुछ हिस्सा सुनने की भी अनुमति दे दी। पीठ ने जांच समिति को आडियो रिकार्डिंग उच्चतम न्यायालय के महासचिव को सौंपने के लिये कहा जो इसका इंतजाम करेंगे कि बीसीसीआई और श्रीनिवासन के वकील न्यायालय में ही इसे सुन सकें। न्यायालय ने बोर्ड और श्रीनिवासन से आडियो टेप की बातों को गोपनीय रखने और सार्वजनिक नहीं करने के लिये भी कहा।
पीठ ने कहा कि ऑडियो रिकार्डिंग के कंटेंट बाहर जाने का मतलब होगा कि देश में क्रिकेट अंधकारमय हो जाएगा। आडियो रिकार्डिंग महासचिव की मौजूदगी में श्रीनिवासन के वकील एडवोकेट अमित सिब्बल और बोर्ड की ओर से एडवोकेट रोहिणी मूसा सुनेंगे। उच्चतम न्यायालय ने 16 अप्रैल को सुनवाई में एसआईटी या सीबीआई जांच को लेकर झिझक व्यक्त की थी। इसने कहा था कि बोर्ड की सांस्थानिक स्वायत्ता बरकरार रखी जानी चाहिये लिहाजा बोर्ड की ओर से गठित समिति ही मामले की जांच करे तो अच्छा होगा। (एजेंसी इनपुट के साथ)