टीम के अलावा कोई मेरे प्रयासों की सराहना नहीं करता: ईशांत शर्मा
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टीम के अलावा कोई मेरे प्रयासों की सराहना नहीं करता: ईशांत शर्मा

लॉर्ड्स पर इंग्लैंड के खिलाफ 28 साल बाद मिली टेस्ट जीत के सूत्रधार भारतीय तेज गेंदबाज ईशांत शर्मा का मानना है कि उनके साथी खिलाड़ियों के अलावा कोई उनके प्रयासों की सराहना नहीं करता।

टीम के अलावा कोई मेरे प्रयासों की सराहना नहीं करता: ईशांत शर्मा

लंदन : लॉर्ड्स पर इंग्लैंड के खिलाफ 28 साल बाद मिली टेस्ट जीत के सूत्रधार भारतीय तेज गेंदबाज ईशांत शर्मा का मानना है कि उनके साथी खिलाड़ियों के अलावा कोई उनके प्रयासों की सराहना नहीं करता।

ईशांत ने दूसरे टेस्ट में मिली जीत के बाद कहा, कई बार मुझे लगता है कि टीम के मेरे साथियों के अलावा मेरे प्रयासों को कोई दाद नहीं देता। आज भी चूंकि मुझे विकेट मिले हैं तो लोग मेरी सराहना कर रहे हैं। उन्होंने कहा, लेकिन कई बार मैं महंगा साबित हुआ और मेरी रणनीति नाकाम रही लेकिन किसी ने इस बात की प्रशंसा नहीं की कि मैं 80 ओवर से पुरानी गेंद से लगातार बाउंसर डाल रहा था।

उन्होंने बीसीसीआई टीवी से कहा, मेरे साथ हमेशा ऐसा हुआ है और मुझे इसकी आदत हो गई है। मैं इतना अनुभवी तो हो गया हूं कि हर किसी की बात का मुझ पर असर नहीं होता। मुझे पता है कि मेरी टीम को मुझ पर भरोसा है और वे मेरे योगदान की सराहना करते हैं। मेरे लिए वही काफी है। ईशांत ने दूसरे टेस्ट की दूसरी पारी में 74 रन देकर सात विकेट लिए। उन्होंने कहा कि 2011 में लॉर्ड्स पर खेलने का अनुभव उनके काम आया। उन्होंने कहा, पिछली बार मैने यहां चार विकेट लिए थे। मुझे याद है कि पहले सत्र में अच्छी गेंदबाजी के बावजूद मुझे विकेट नहीं मिले थे। वापसी पर मैने चार विकेट चटकाये।

ईशांत ने कहा, वह मेरे दिमाग में था। मुझे पता था कि इस मैदान पर काफी विकेट मिलते हैं लेकिन मुझे संयम से काम लेना होगा। मैंने शमी और भुवी से भी कहा और उन्होंने भी इसे आजमाया। उन्होंने कहा, डंकन मुझसे और बाउंसर्स डालने के लिए कहते रहते हैं लेकिन कई बार यह रणनीति काम करती है तो कई बार नहीं। मुझे यह सीखने को मिला कि सपाट विकेट पर यदि आप लगातार शॉर्ट गेंद डालते रहें तो ऐसे नतीजे मिल सकते हैं जिनकी आपने कल्पना भी नहीं की होगी।

यह पूछने पर कि क्या कभी उन्होंने एक पारी में इतने बाउंसर डाले हैं, उन्होंने कहा, नहीं, आप जीवन में नयी चीजों का अनुभव करते रहते हैं। मेरे लिए यह वैसा ही था। भारतीय टीम के सबसे अनुभवी गेंदबाज ईशांत ने कहा कि वह अपने साथियों के साथ अनुभव बांटकर तेज आक्रमण की अगुवाई की कोशिश करते हैं।

उन्होंने कहा, जब मैं मैदान पर होता हूं तो दूसरे तेज गेंदबाजों से भी बात करता हूं और समान हालात में अपने अनुभव बांटता हूं। यदि आपको 20 विकेट लेने हैं तो सबसे जरूरी है कि गेंदबाज आपस में लगातार बात करते रहे। अधिक मैच खेलने का अनुभव होने के कारण मैं मैदान पर तेज गेंदबाजों की अगुवाई की कोशिश करता हूं लेकिन मैदान के बाहर मैं सीनियर नहीं रहता चूंकि हम सभी एक उम्र के हैं।
 

 

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