IPL 7 के दौरान BCCI प्रमुख होंगे गावस्कर, सीएसके-राजस्थान रॉयल्स पर रोक नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले में पूर्व खिलाड़ी सुनील गावस्कर को बीसीसीआई के अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर नियुक्त करते हुए आईपीएल की किसी टीम या खिलाड़ी पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है।

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को आईपीएल सात के दौरान बीसीसीआई की कमान पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर को सौंप दी लेकिन एन श्रीनिवासन की चेन्नई सुपर किंग्स और राजस्थान रायल्स को टूर्नामेंट में भाग लेने से नहीं रोका।
श्रीनिवासन को क्रिकेट बोर्ड से अलग करते हुए न्यायालय ने बोर्ड के सबसे सीनियर उपाध्यक्ष शिवलाल यादव को बीसीसीआई के कामकाज का संचालन करने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति ए के पटनायक और एफ एम इब्राहिम खलीफुल्ला की पीठ ने गुरुवार को चेन्नई और राजस्थान को टूर्नामेंट से परे रखने का प्रस्ताव दिया था। उन्होंने हालांकि आज इस मामले में कोई आदेश देने से इनकार करते हुए उन्होंने 16 अप्रैल से दुबई में शुरू हो रहे टूर्नामेंट में भाग लेने की अनुमति दे दी।
पीठ ने यह भी कहा कि गावस्कर को न्यायालय द्वारा सौंपी गई जिम्मेदारी संभालने से पहले बीसीसीआई के साथ कमेंट्री के लिए किया गया करार खत्म करना होगा। उसने बोर्ड को इस अनुभवी क्रिकेटर को उचित भुगतान का भी निर्देश दिया।
यह फैसला आईपीएल सट्टेबाजी और स्पाट फिक्सिंग मामले में मुद्गल समिति की रिपोर्ट पर सुनवाई के दौरान दिया गया। खचाखच भरी अदालत में पीठ ने साफ तौर पर कहा कि खिलाड़ियों और कमेंटेटरों को छोड़कर इंडिया सीमेंट्स का कोई भी कर्मचारी बीसीसीआई की किसी गतिविधि या पद से जुड़ा नहीं होगा।
इसने यह भी कहा कि गावस्कर तय करेंगे कि आईपीएल के मौजूदा सीईओ सुंदर रमन पद पर बने रहेंगे या किसी और को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी चूंकि उन पर श्रीनिवासन को बचाने के आरोप लगे थे। इस बीच बीसीसीआई ने न्यायालय से अपील की कि श्रीनिवासन को जुलाई से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद के अध्यक्ष पद पर काबिज होने की अनुमति दी जाए। पीठ ने इस पर कोई फैसला सुनाने से इनकार कर दिया। बोर्ड ने भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी पर वकील हरीश साल्वे द्वारा लगाये गए आरोपों को भी खारिज किया। साल्वे ने उन पर गुरूनाथ मयप्पन को बचाने का आरोप लगाया था ।
बीसीसीआई की ओर से सीनियर एडवोकेट सी ए सुंदरम ने पीठ से कहा, ‘न्यायालय में गुरुवार को उन पर लगाए गए झूठे आरोपों के बाद मीडिया ने गलत तरीके से उन्हें बदनाम किया। उन्होंने यह कभी नही कहा कि मयप्पन सिर्फ क्रिकेट के शौकीन है जैसा कि सीनियर वकील हरीश साल्वे ने कहा।’ उन्होंने कहा, ‘कल दिया गया बयान गलत था।’
उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल के आईपीएल के दौरान कथित सट्टेबाजी और स्पाट फिक्सिंग के मामले में मुद्गल समिति की रिपोर्ट पर सुनवाई के दौरान कई प्रस्ताव रखे थे। इसने एन श्रीनिवासन की जगह गावस्कर को बोर्ड अध्यक्ष बनाने और सीएसके तथा राजस्थान रायल्स को आईपीएल फिक्सिंग मामले में फैसला आने तक आईपीएल से बाहर रखने का प्रस्ताव दिया था।
इस मामले में जांच समिति द्वारा सीलबंद लिफाफे में दी गई रिपोर्ट को पढने के बाद उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि रिपोर्ट में काफी गंभीर आरोप लगाये गए हैं और जब तक बोर्ड अध्यक्ष इस्तीफा नहीं देते, स्वतंत्र जांच संभव नहीं है।
पीठ ने कहा था, ‘हमारी राय में उचित जांच के लिए श्रीनिवासन को पद छोड़ देना चाहिए। यदि वह ऐसा नहीं करते तो हम आदेश सुना देंगे।’ बीसीसीआई ने कल पीठ के समक्ष अपने प्रस्ताव की एक प्रति रखी थी जिसमें न्यायालय को आश्वासन दिया गया था कि मुद्गल समिति की रिपोर्ट के आधार पर अनुशासनात्मक कार्रवाई तुरंत की जाएगी। (एजेंसी)

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