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हैमिल्टन : पहले मैच में हार से सचेत विश्व की नंबर एक टीम भारत जीत के बाद जोश से भरे न्यूजीलैंड के खिलाफ कल यहां दूसरे एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच में बल्लेबाजी की अपनी कमजोरियों से निजात पाकर पांच मैचों की श्रृंखला में वापसी की कोशिश करेगी। नेपियर के पहले मैच में 293 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत एक समय जीत की तरफ बढ़ रहा था लेकिन विश्व की नंबर आठ टीम के आक्रमण के सामने उसकी बल्लेबाजी अचानक ताश के पत्तों की तरह बिखर गयी। इससे भारत की विराट कोहली पर निर्भरता भी जगजाहिर हो गयी जिन्होंने आकषर्क शतक जमाया लेकिन आखिर में वह बेकार चला गया।
सुरेश रैना की फार्म भारत के लिये सबसे बड़ी चिंता है जबकि सलामी बल्लेबाजों शिखर धवन और रोहित शर्मा भारत को अपेक्षित शुरूआत दिलाने में नाकाम रहे। यही नहीं आगामी मैचों में भारतीय गेंदबाजी में भी अधिक पैनापन लाने की जरूरत होगी क्योंकि पहले मैच में न्यूजीलैंड के बल्लेबाजों को भारतीय आक्रमण का सामना करने में कोई दिक्कत नहीं हुई। तेज गेंदबाज इशांत शर्मा और आफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन विदेशी परिस्थितियों में खास प्रभाव नहीं छोड़ पाये हैं। इसलिए यह देखना होगा कि टीम प्रबंधन गेंदबाजी लाइन अप में बदलाव करता है या नहीं। भारतीयों को कल सेडन पार्क में कोहली से फिर से बड़ी पारी और अन्य बल्लेबाजों से अच्छे योगदान की उम्मीद रहेगी। यह बात किसी ने छिपी नहीं है कि भारतीय बल्लेबाजी काफी हद तक कोहली पर निर्भर है। उन्होंने अब तक केवल 126 मैच खेले हैं और 18 शतक और 28 अर्धशतक जमाये हैं।
कोहली ने जिन 46 अवसरों पर 50 से अधिक रन बनाये, उनमें से 32 मैचों में भारत जीता है। चिंता की बात यह है कि इन 32 जीत से 14 जीत पिछले दो साल में दर्ज की गयी। इनमें कोहली के नौ शतक भी शामिल हैं जबकि बाकी 18 जीत उनके करियर के पहले चार साल में मिली थी। इससे भारत की बल्लेबाजी में कोहली पर बहुत अधिक निर्भरता का पता चलता है। अब जबकि अगले साल विश्व कप होना है तब यह चिंता का विषय है। रोहित शर्मा ने भारत में जो फार्म दिखायी थी वह दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड में वैसा प्रदर्शन नहीं कर पाये हैं। पिछले तीन वनडे में उनके स्कोर 18, 19, और तीन रन रहा। शिखर धवन का भी यही हाल है। इन मैचों में उन्होंने 12, शून्य और 32 रन बनाये। नेपियर में उन्होंने 15 रन जबकि दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ जोहानिसबर्ग और डरबन में क्रमश: 14 और 10 रन की साझेदारी की।
भारत इन तीनों मैच में हार गया था। इन दोनों ने इससे पहले वेस्टइंडीज श्रृंखला तक 22 मैचों में 1247 रन जोड़े थे और इनमें से 16 अवसरों पर टीम ने जीत दर्ज की थी। इंग्लैंड में चैंपियन्स ट्राफी में उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया था। इससे साफ होता है कि उनमें गेंदबाजों के लिये अनुकूल परिस्थितियों में भी रन बनाने की क्षमता है लेकिन अभी वह टच में नहीं हैं। अच्छी शुरूआत नहीं मिलने से कोहली पर दारोमदार बढ़ जाता है जबकि मध्यक्रम पर भी दबाव आ जाता है। इसके अलावा नंबर चार और पांच बल्लेबाज भी अच्छा योगदान नहीं दे पा रहे हैं। कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने भी पहले मैच में हार के लिये मध्यक्रम के बल्लेबाजों को जिम्मेदार ठहराया था। (एजेंसी)