चार राज्यों में मिली हार की कांग्रेस ने की समीक्षा

चुनावों में मिली पराजय से परेशान, कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी और पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को चार राज्यों में विधानसभा चुनाव के परिणामों की समीक्षा करने के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक की।

नई दिल्ली : चुनावों में मिली पराजय से परेशान, कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी और पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को चार राज्यों में विधानसभा चुनाव के परिणामों की समीक्षा करने के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक की।
पांचों राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, दिल्ली और मिजोरम के पार्टी मामलों के प्रभारी महासचिवों और पार्टी पर्यवेक्षकों ने पार्टी नेतृतव को अपनी रिपोर्ट सौंपी और चुनाव नतीजों पर हैरानी एवं निराशा जताई।
इन पांचों राज्यों में सिर्फ मिजोरम ही एक मात्र राज्य है जहां कांग्रेस विजयी रही जबकि दिल्ली और राजस्थान सहित बाकी चारों राज्यों में उसे असफलता हाथ लगी है। दिल्ली और राजस्थान में उसे सत्ता से बाहर होना पड़ा है।
इस विचार-विमर्श की गंभीरता का अंदाजा इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि ए के एंटनी और गुलाम नबी आजाद जैसे वरिष्ठ मंत्रियों ने कैबिनेट की बैठक में न जा कर इस चर्चा में हिस्सा लिया।
करीब दो घंटे चली इस बैठक के बाद पार्टी महासचिवों सहित पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने संवाददाताओं से बात करने से इंकार कर दिया और न ही एआईसीसी की ओर से बैठक के बारे में अधिकृत रूप से कोई सूचना उपलब्ध कराई गई।
ऐसी अटकलें हैं कि जिन राज्यों में कांग्रेस पराजित हुई है उन राज्यों के कांग्रेस के प्रभारी महासचिवों ने इस्तीफे की पेशकश की है लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हुई है। विधानसभा चुनाव के परिणामों पर निराशा जताते हुए सोनिया गांधी ने रविवार को इस पर गहरे आत्ममंथन की बात की थी।
उन्होंने कहा था, ‘‘हम आत्म निरीक्षण करेंगे और अपनी गलतियों को सुधारने के लिए कार्रवाई करेंगे।’’ पार्टी ब्रीफिंग में कांग्रेस प्रवक्ता मीम अफजल से जब यह पूछा गया कि इस पराजय के लिए क्या किसी को जिम्मेदार ठहराया जायेगा तो उन्होंने कहा कि कांग्रेस प्रमुख और पार्टी उपाध्यक्ष पराजय को पहले ही स्वीकार कर चुके हैं।
यह पूछे जाने पर कि पराजय के लिए क्या उन राज्यों के प्रभारी महासचिवों के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी, अफजल ने कहा कि इस बारे में हम आपके साथ चर्चा नहीं करेंगे। इस पर हम पार्टी के अंदर चर्चा करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि अगर खाद्य सुरक्षा कानून पहले बन गया होता तो पार्टी को मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में फायदा मिलता।
उनका यह भी कहना था कि उन चारों राज्यों में जहां कांग्रेस पाराजित हुई है वहां स्थानीय मुद्दे ज्यादा हावी थे। उन्होंने यह भी कहा कि हम अपने प्रचार के जरिये शिवराज सिंह चौहान सरकार की विफलता को जनता के बीच पहुंचाने में कामयाब नहीं रहे। उसी तरह भाजपा राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की लोकप्रिय योजनाओं को असफल बताने में कामयाब रही।
अफजल ने साथ ही कहा कि मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया को अगर काफी दिन पहले अभियान समिति की जिम्मेदारी सौंपी जाती तो चुनाव परिणाम कुछ अलग हो सकते थे। (एजेंसी)

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