दिल्ली में सरकार बनाने को लेकर अनिश्चितता बरकरार, नजरें राज्यपाल पर

दिल्ली राष्ट्रपति शासन की ओर बढ़ता दिख रहा है। दोनों बड़ी पार्टियां भाजपा और आप कह रही हैं कि वो सरकार बनाने के लिए दावा पेश नहीं करेंगी क्योंकि उन्हें जनादेश नहीं मिला है।

नई दिल्ली : दिल्ली राष्ट्रपति शासन की ओर बढ़ता दिख रहा है। दोनों बड़ी पार्टियां भाजपा और आप कह रही हैं कि वो सरकार बनाने के लिए दावा पेश नहीं करेंगी क्योंकि उन्हें जनादेश नहीं मिला है।
विधानसभा चुनाव का नतीजा आने के एक दिन बाद दोनों पार्टियों ने सोमवार को गहन मंत्रणा की। 70 सदस्यीय विधानसभा में दिल्ली की जनता ने खंडित जनादेश दिया है।
जहां 31 सीटें जीतकर भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी है, वहीं उसके सहयोगी दल अकाली दल (बादल) को एक सीट मिली है। इसके साथ ही वह 36 के बहुमत के आंकड़े के साथ चार सीट पीछे है।
दूसरी तरफ आप ने 28 सीटें जीती हैं। उसके बाद कांग्रेस को 8 सीटें मिली हैं। जद (यू) को एक सीट मिली है जबकि मुंडका सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत हासिल की है।
अरविंद केजरीवाल के आवास पर पार्टी के शीर्ष नेताओं की बैठक के बाद आप नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि अगर उपराज्यपाल नजीब जंग पार्टी को सरकार बनाने का न्योता देते हैं तो वह बहुमत नहीं होने का हवाला देते हुए इस तरह की किसी भी पेशकश को ठुकरा देगी।
यादव ने कहा, ‘‘हम सरकार बनाने नहीं जा रहे हैं। हम विपक्ष में बैठेंगे और रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभाएंगे। संविधान के अनुसार सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमें बहुमत नहीं मिला है इसलिए यह बेहद आश्चर्यजनक है कि एक पार्टी (भाजपा) सरकार बनाने को तैयार नहीं है और हमसे ऐसा करने को कह रही है।’’
केजरीवाल ने रणनीति पर चर्चा करने के लिए आप के नवनिर्वाचित विधायकों के साथ एक और बैठक की। केजरीवाल ने कहा कि वे विपक्ष में बैठना पसंद करेंगे और अगर हालात बने तो चुनाव का सामना करना पसंद करेंगे। भाजपा और आप दोनों ने कहा कि वे न तो किसी को समर्थन देंगे और न ही किसी से समर्थन लेंगे।
सरकार बनाने को लेकर अनिश्चितता के बीच भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने कई दौर की बैठकें कीं और अपने पूर्व के रुख को बरकरार रखा कि वे सरकार बनाने के लिए दावा पेश नहीं करेंगे क्योंकि वह स्पष्ट बहुमत से दूर है।
भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और दिल्ली में पार्टी के प्रभारी नितिन गडकरी ने कहा, ‘‘हमारे पास संख्या नहीं है। हम किसी विधायक को खरीदना नहीं चाहते हैं।’’ सूत्रों ने बताया कि गडकरी ने टेलीकान्फ्रेंसिंग के जरिए नरेंद्र मोदी के साथ चर्चा की और पार्टी की आम राय है कि उसे कोई अनैतिक कदम नहीं उठाना चाहिए।
भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने कहा, ‘‘साफ तौर पर हमारे पास संख्या नहीं है। हमारे पास 32 विधायक हैं जबकि हमें 36 विधायकों के समर्थन की जरूरत है। अगर एक निर्दलीय विधायक भी हमारा समर्थन कर देता है तब भी हमारे विकल्प सीमित हैं।’’
भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हर्षवर्धन ने भी इसी राय से सुर में सुर मिलाया। उन्होंने कहा कि पार्टी सरकार नहीं बनाएगी क्योंकि दिल्ली की जनता ने ऐसा जनादेश नहीं दिया है।
उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली की जनता ने हमें सबसे बड़ी पार्टी बनाया। लेकिन उसने हमें सरकार बनाने के लिए समर्थन नहीं दिया। हम खरीद फरोख्त की राजनीति में विश्वास नहीं करते। गेंद हमारे पाले में नहीं है।’’
हषर्वर्धन ने कहा कि अगर गतिरोध जारी रहा तो भाजपा नये सिरे से चुनाव में जाने को तरजीह दे सकती है। भाजपा ने अपने सभी नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक कल बुलाई है। इस बैठक में गडकरी, पार्टी की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष विजय गोयल और वरिष्ठ नेता थावरचंद हिस्सा लेंगे।
यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस सरकार बनाने के लिए आप को समर्थन देगी तो निवर्तमान मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने केजरीवाल के उस बयान का उल्लेख किया जिसमें उन्होंने कहा था कि उनकी पार्टी न तो किसी से समर्थन लेगी और न ही किसी को समर्थन देगी।
उन्होंने कहा, ‘‘आप ने कहा कि वह कांग्रेस का समर्थन नहीं लेगी। यह उनका फैसला है। हमने इसपर कोई फैसला नहीं किया है।’’ उन्होंने कहा कि अगर कोई सरकार नहीं बनती है तो नए सिरे से चुनाव में जाने के सिवाय और कोई विकल्प नहीं होगा।
इस बीच, उपराज्यपाल नजीब जंग ने आगामी कार्रवाई के संबंध में वरिष्ठ अधिकारियों और विशेषज्ञों के साथ विचार-विमर्श किया है। जिन लोगों के साथ चर्चा की गई उनमें दिल्ली विधानसभा के सचिव पी एन मिश्रा भी शामिल हैं। दीक्षित ने भी शिष्टाचार के नाते उपराज्यपाल से मुलाकात की।
गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि उपराज्यपाल फैसला करने से पहले नयी सरकार गठन के लिए सारे विकल्पों को तलाशेंगे। (एजेंसी)

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