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ज़ी मीडिया ब्यूरो
नई दिल्ली : दिल्ली में बिजली के बढ़े दाम पर प्रतिक्रिया देते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को कहा कि बिजली कंपनियों पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट से यह जाहिर हो जाएगा कि बिजली वितरण कंपनियों के पैसे कहां गए क्योंकि कंपनियां फंड की कमी बता रही हैं।
केजरीवाल ने कहा, `बिजली वितरण कंपनियों का कहना है कि उनके पास पैसे नहीं है। कंपनियों के पैसे कहां गए? सीएजी की ऑडिट बताएगी कि उनके पैसे कहां गए। हमें सीएजी की रिपोर्ट की प्रतीक्षा करनी चाहिए।`
इसके पहले शुक्रवार को डीईआरसी ने दिल्ली में बिजली का सरचार्ज आठ प्रतिशत तक बढ़ा दिया। बिजली के दाम में यह वृद्धि एक फरवरी से लागू हो गई।
डीईआरसी के चेयरमैन पी.डी. सुधाकर ने बताया कि ईंधन लागत समायोजन से अधिभार में बढ़ोतरी हुई है जो बीएसईएस यमुना पावर के लिए 8 प्रतिशत, बीएसईएस राजधानी के लिए 6 प्रतिशत और टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड के लिए 7 प्रतिशत है।
सुधाकर ने कहा, ‘यह एक अधिभार है। हमने बिजली वितरण कंपनियों की बिजली खरीद लागत समायोजित करने के लिए यह निर्णय किया है।’ डीईआरसी तीन महीने बाद ईंधन अधिभार के रूप में इस वृद्धि की समीक्षा करेगा। उन्होंने कहा कि बिजली वितरण कंपनियों को वित्तीय दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है और उनकी मदद के लिए रास्ते निकालना आवश्यक है।
बिजली वितरण कंपनी बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड (बीवाईपीएल) ने कहा है कि उसके पास फंड की कमी हो गई है और सरकारी कंपनी से बिजली खरीदने के लिए उसके पास पैसे नहीं हैं। इसलिए वह एक फरवरी से अपने इलाकों में 10 घंटे की बिजली कटौती करेगी। (एजेंसी इनपुट के साथ)