नर्सरी दाखिला: नए सिरे से लाटरी निकालने पर रोक

दिल्ली हाईकोर्ट ने नर्सरी कक्षाओं में दाखिले के लिए नए सिरे से लाटरी निकाले जाने पर रोक लगा दी।

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने नर्सरी कक्षाओं में दाखिले के लिए नए सिरे से लाटरी निकाले जाने पर रोक लगा दी। न्यायालय ने दिल्ली सरकार को गैर सहायता प्राप्त मान्य निजी स्कूलों से संबंधित मुद्दे पर सभी जरूरी आंकडें और ब्यौरा दाखिल करने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि इस बीच छह मार्च के आदेश के अनुसार नए सिरे से लाटरी नहीं निकाली जाएगी।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश बी डी अहमद और न्यायाधीश सिद्धार्थ मृदुल की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई के लिए 24 मार्च की तारीख तय करते हुए कहा कि हम यह भी स्पष्ट करना चाहते हैं कि मामले की अगली सुनवाई तक कोई दाखिला नहीं होगा।
अदालत कुछ माता पिता द्वारा एकल न्यायाधीश पीठ के छह मार्च के आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रही थी । अदालत ने छह मार्च के आदेश में दिल्ली सरकार से कहा था कि वह पड़ोस के मापदंड के आधार पर 70 अंक हासिल करने वाले और समान पायदान पर खड़े बच्चों के बीच नए सिरे से लाटरी निकाले ।
14 बच्चों के अभिभावकों द्वारा दाखिल इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि लाटरी निकाले जाने के बाद उन्हें पहले ही नर्सरी दाखिले में चयनित घोषित किया जा चुका है और इस मुद्दे पर एकल न्यायाधीश की पीठ के आदेश की अनुपालना में उन्हें फिर से इस प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा।
मौजूदा विवाद उपराज्यपाल द्वारा 27 फरवरी को एक आदेश जारी किए जाने के बाद शुरू हुआ था। इस आदेश में 100 अंकों में से अंतरराज्यीय तबादला मामलों को दिए जाने वाले पांच अंकों को समाप्त करने की व्यवस्था की गयी थी।
उल्लेखनीय है कि स्कूल के आठ किलोमीटर के दायरे में रहने वाले बच्चों को अधिकतम 70 अंक दिए जाते हैं । उपराज्यपाल के आदेश में आगे कहा गया था कि यदि किसी स्कूल ने 70 अंक हासिल करने वाले आवेदकों के लिए लाटरी निकाली है तो वह लाटरी केवल चयनित उम्मीदवारों के लिए वैध रहेगी। उन्होंने कहा था कि ताजा लाटरी उन बाकी बचे आवेदकों के लिए निकाली जाएगी जिन्होंने अंतरराज्यीय तबादला मामला श्रेणी के कारण 75 अंक हासिल किए थे । इनमें प्रतीक्षा सूची वाले आवेदक भी शामिल हैं ।
एकल न्यायाधीश ने इस आदेश में खामी पायी थी । हालांकि एकल पीठ ने स्वीकार किया था कि सरकार ने अंतरराज्यीय तबादला श्रेणी में पांच अंकों को समाप्त कर अपने न्यायिक क्षेत्राधिकार के भीतर ही काम किया है । पीठ ने कहा कि हालांकि , इस अदालत का यह विचार है कि सभी समान उम्मीदवारों के साथ एकसमान व्यवहार किया जाए और ऐसे सभी बच्चे जिन्होंने समान अंक हासिल किए हैं उन्हें लाटरी के एकल ड्रा में भाग लेना चाहिए। वकीलों सकल भूषण और सुरेन्द्र कुमार के जरिए दाखिल की गयी मौजूदा याचिका में छह मार्च के आदेश को दरकिनार किए जाने की अपील करते हुए कहा गया है कि बड़ी संख्या में ड्रा पहले ही निकाले जा चुके हैं और दाखिले के लिए याचिकाकर्ताओं के बच्चों का चयन हो चुका है । (एजेंसी)

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