केंद्रीय अस्पतालों में भ्रष्टाचार खत्म करने का प्रयास जारी: हर्षवर्धन

भंडाफोड़ करने वाले आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी को एम्स के मुख्य सतर्कता अधिकारी पद से हटाने के लिए आलोचनाओं की जद में आए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने शनिवार को कहा कि केंद्रीय अस्पतालों में तरह-तरह के भ्रष्टाचार हैं और ‘प्रक्रियागत एवं लक्षणात्मक’ भ्रष्टाचार को खत्म करने का प्रयास जारी है।

नई दिल्ली : भंडाफोड़ करने वाले आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी को एम्स के मुख्य सतर्कता अधिकारी पद से हटाने के लिए आलोचनाओं की जद में आए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने शनिवार को कहा कि केंद्रीय अस्पतालों में तरह-तरह के भ्रष्टाचार हैं और ‘प्रक्रियागत एवं लक्षणात्मक’ भ्रष्टाचार को खत्म करने का प्रयास जारी है।

चतुर्वेदी को हटाए जाने के निर्णय का बचाव करते हुए हर्षवर्धन ने कहा कि सीवीओ पद पर उनकी नियुक्ति का 2012 और 2013 में केंद्रीय सतर्कता आयोग ने विरोध किया था। उन्होंने यहां बयान जारी कर कहा कि उन्हें हटाकर मैंने सीवीसी की छवि को बरकरार रखने का प्रयास किया है। मंत्री ने कहा कि चिकित्सक के रूप में उन्हें मालूम है कि अस्पतालों में बिस्तर आवंटन से लेकर आपूर्तिकर्ताओं से मिलने वाली रिश्वत तक भ्रष्टाचार है।

उन्होंने कहा कि पद पर रहने के 90 दिनों के अंदर एक दिन भी ऐसा नहीं गया है जब मैंने मंत्रालय की पारदर्शिता के बारे में पूछताछ नहीं की हो। जल्द ही परिणाम लोगों के समक्ष होगा। बयान में कहा गया है कि हषर्वर्धन ने एम्स सहित सभी केंद्रीय अस्पतालों में ‘व्यवस्थागत एवं लक्षणात्मक भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए सभी प्रणाली की गंभीर समीक्षा की है।’ उन्होंने कहा कि अगर बिस्तरों के आवंटन में धन लिया जाता है या आपूर्तिकर्ताओं से रिश्वत ली जाती है तो यह अनैतिक है।

चतुर्वेदी के काम में ‘फेरबदल’ को राजनीतिक स्वर दिए जाने पर दुख जताते हुए हर्षवर्धन ने कहा कि उन्हें न तो निलंबित किया गया है न ही उनका स्थानांतरण हुआ है। स्वास्थ्य मंत्री ने दावा किया कि सीवीसी के दिशानिर्देशों का उल्लंघन कर सीवीओ के रूप में चतुर्वेदी की नियुक्ति ‘संस्थान को कमजोर करने का हिस्सा है।’ पिछली संप्रग सरकार और एम्स ने चतुर्वेदी की नियुक्ति का यह कहते हुए बचाव किया था कि एम्स एक स्वायत्तशासी संस्था है और सीवीसी की मंजूरी आवश्यक नहीं है। आप नेता अरविंद केजरीवाल सहित चतुर्वेदी से सहानुभूति रखने वालों ने आरोप लगाया है कि उन्हें ‘राजनीतिक दबाव’ में हटाया गया और जब तक वह वहां थे तब तक सीवीसी उनसे एम्स के सीवीओ के रूप में संवाद करता रहा।

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