नरेंद्र मोदी के जीत के अंतर को बढ़ाने के प्रयास तेज
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नरेंद्र मोदी के जीत के अंतर को बढ़ाने के प्रयास तेज

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक नगरी वाराणसी से नरेंद्र मोदी की बड़े अंतर से जीत को लेकर आश्वस्त दिख रही है और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) की जिला इकाई भी उनकी जीत का अंतर बढ़ाने के लिए पूरा जोर लगा रही है।

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वाराणसी : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक नगरी वाराणसी से नरेंद्र मोदी की बड़े अंतर से जीत को लेकर आश्वस्त दिख रही है और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) की जिला इकाई भी उनकी जीत का अंतर बढ़ाने के लिए पूरा जोर लगा रही है।
संघ सूत्रों के अनुसार, संघ कार्यकर्ताओं और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) से जुड़े कार्यकर्ताओं को प्रचार में जुटने का निर्देश दिया गया है। संघ के रणनीतिकारों का मानना है कि बनारस में मोदी की जीत का अंतर जितना बड़ा होगा, राजनीतिक गलियारों में उतना ही मजबूत संदेश जाएगा। इस लिहाज से संघ मोदी की जीत में किसी तरह की चूक नहीं होने देना चाहता।
संघ के एक पदाधिकारी ने बताया कि संघ का स्पष्ट निर्देश है कि कार्यकर्ता बनारस की हर गली-मोहल्ले में और दरवाजे-दरवाजे जाकर मोदी के लिए वोट मांगें। इसके लिए संघ के स्थानीय पदाधिकारियों की टीम बनाई जा रही है और उन्हें अलग-अलग हिस्सों की जिम्मेदारी दी जाएगी। संघ के ये पदाधिकारी हालांकि, स्वीकार करते हैं कि पिछले आम चुनाव में डॉ. मुरली मनोहर जोशी की जीत का अंतर काफी कम रहा था। उन्हें बनारस से मात्र 17 हजार वोटों के अंतर से ही जीत मिली थी लेकिन इस बार संघ की कोशिश है कि मोदी की जीत का अंतर लाखों में हो, जिससे जनता के बीच एक स्पष्ट संदेश जाए।
संघ पदाधिकारी के अनुसार, बनारस की जनता को इस बार देश का प्रधानमंत्री चुनने का मौका मिला है। ऐसा मौका बार-बार नहीं मिलता, इसलिए जीत का अंतर इतना बड़ा होना चाहिए कि इससे प्रत्याशी के दमदार व्यक्तित्व का अंदाजा लग सके। बनारस संसदीय सीट की बात करें तो यहां लगभग 18-20 फीसदी मुसलमान मतदाता हैं, जो हमेशा ही भाजपा के निकटतम प्रतिद्वंदी के पक्ष में लामबंद होता रहा है। इसके अलावा शेष 80-82 फीसदी मतदाताओं में सबसे अधिक पिछड़ा वर्ग है। 18 से 20 फीसदी दलित एवं अगड़ी जातियां हैं।
बनारस की उत्तरी, दक्षिणी एवं कैंट विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा का दबदबा शुरू से ही रहा है और वर्तमान में तीनों सीटों पर भाजपा का कब्जा है और इसीलिए बनारस को हमेशा से ही भाजपा का गढ़ माना जाता रहा है। पिछले चुनावों पर गौर किया जाए तो वर्ष 1991 के बाद से हुए लोकसभा चुनावों में छह बार भाजपा ने जीत हासिल की है, जबकि 2004 में एक बार भाजपा को यहां से शिकस्त झेलनी पड़ी। पिछले लोकसभा चुनाव में भी भाजपा हारते-हारते बची थी। भाजपा की प्रदेश इकाई का कहना है कि चुनाव में मुख्य मुद्दा हालांकि विकास है, लेकिन बनारस की जनता को इस बार देश का प्रधानमंत्री चुनना है, इसलिए यह चुनाव एकतरफा होगा और पार्टी की जीत निश्चित है। भाजपा केवल जीत का अंतर बढ़ाने की जुगत में है।
प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक का कहना है कि बनारस की जनता को इस बार एक सांसद के साथ ही देश का प्रधानमंत्री भी चुनना है और यह बात भाजपा के कार्यकर्ता `डोर टू डोर` अभियान चलाकर बनारस की जनता को बता रहे हैं। शहर के साथ ही ग्रामीण क्षेत्र के लिए भी टीम बना दी गई है, जो अपने काम में जुटी हुई है। (एजेंसी)

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