`महाराष्ट्र में शिक्षकों के 1000 पद रिक्त क्यों?`
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`महाराष्ट्र में शिक्षकों के 1000 पद रिक्त क्यों?`

बंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार के स्कूल शिक्षा विभाग से एक जनहित याचिका पर जवाब मांगा है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज्य के स्कूलों में शिक्षकों के 1000 से ज्यादा पद रिक्त पड़े हैं।

`महाराष्ट्र में शिक्षकों के 1000 पद रिक्त क्यों हैं?`
मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार के स्कूल शिक्षा विभाग से एक जनहित याचिका पर जवाब मांगा है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज्य के स्कूलों में शिक्षकों के 1000 से ज्यादा पद रिक्त पड़े हैं।

उच्च न्यायालय गुरुवार को उस जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था जो कोंकण संभाग के ‘कॉन्स्टीटुएन्सी ऑफ टीचर्स’ से विधान परिषद सदस्य ने दायर की है। याचिका में सरकार से मान्यता प्राप्त और वित्तपोषी निजी प्राथमिक, माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्कूलों तथा जूनियर कॉलेजों में शिक्षकों के रिक्त पड़े पदों को भरने के लिए आदेश देने की मांग की गई है। मुख्य न्यायमूर्ति मोहित शाह ने प्राथमिक, माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्कूलों तथा जूनियर कॉलेजों के शिक्षा निदेशकों को 13 नवंबर तक जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।
जनहित याचिका में कहा गया है कि बंबई प्राथमिक शिक्षा नियमावली 1949, उच्चतर स्कूल संहिता और बच्चों के लिए मुफ्त तथा अनिवार्य शिक्षा का अधिकार कानून 2009 के मुताबिक राज्य के लिए पर्याप्त छात्र-शिक्षक अनुपात बनाए रखना जरूरी है ताकि कक्षा या स्कूल में छात्रों की तय संख्या के लिए पर्याप्त संख्या में शिक्षक उपलब्ध हों।
याचिका के अनुसार, रिक्त पदों पर शिक्षकों की भर्ती न करने से अनुपात बरकरार नहीं है और राज्य में शिक्षकों के 1000 से अधिक पद रिक्त पड़े हैं। शिक्षकों के पद रिक्त होने से अन्य शिक्षकों का कामकाज भी प्रभावित होता है क्योंकि उन पर अतिरिक्त काम का भार पड़ता है। इसका खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ता है। (एजेंसी)

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